देश के 5 राज्यों के चुनाव परिणाम आने के बाद झारखंड की राजनीति ने शुक्रवार को बड़ी करवट ली। राज्य के 5 विधायकों ने एक साथ मिलकर झारखंड लोकतांत्रित मोर्चा का गठन किया है। इसमें आजसू पार्टी के दो विधायक, एनसीपी के एक विधायक तथा 2 निर्दलीय विधायक शामिल हैं। इस तरह अब आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो, विधायक लंबोदर महतो, एनसीपी विधायक कमलेश सिंह, निर्दलीय विधायक सरयू राय तथा अमित यादव मोर्चा का हिस्सा होंगे। यह मोर्चा सुदेश महतो के नेतृत्व में काम करेगा। इसे G 5 नाम दिया गया है।
शुक्रवार को मोर्चा की पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में सुदेश महतो ने कहा कि अमित यादव इसके मुख्य सचेतक होंगे। विधानसभा में मोर्चा के सभी विधायक एक साथ बैठेंगे। इनके बैठने के लिए अलग व्यवस्था करने की मांग स्पीकर से की जाएगी। इसके लिए सोमवार को मोर्चा का प्रतिनिधिमंडल स्पीकर से मिलेगा। सुदेश महतो ने कहा कि झारखंड लोकतांत्रिक मोर्चा एक साथ मिलकर विधानसभा में राज्य हित के सवाल पर अपनी आवाज उठाएगा। मोर्चा के लोगों ने अभी चुनाव एक साथ लड़ने पर कोई निर्णय नहीं किया है। विधायक सरयू राय ने कहा कि सुदेश महतो अधिकृत तौर पर मोर्चा का नेतृत्व करेंगे।
राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तो इस राजनीतिक मोर्चाबंदी से एक साथ कई लक्ष्य को साधने की तैयारी है। इसके तहत अगर एक साथ पांच विधायक रहेंगे तो सरकार पर दबाव बना सकेंगे। राज्यसभा के चुनाव में इनकी अहम भूमिका होगी। सरयू और सुदेश की जोड़ी के एक साथ राजनीति में आने से राज्य में नए समीकरण बन सकते हैं। सरयू राय ने पिछले विधानसभा चुनाव में तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास को हराया था।
आने वाले दिनों में ऐसी संभावना व्यक्त की जा सकती है कि भाजपा रघुवर दास को राज्यसभा प्रत्याशी घोषित कर सकती है। उनकी राह में यह मोर्चा बड़ा रोड़ा बन सकता हैं। सरयू और सुदेश दोनों के रघुवर दास से बेहतर रिश्ते नहीं हैं। पिछले चुनाव में भाजपा का आजसू से गठबंधन नहीं हो सका। माना जाता है कि इस कारण दोनों दलों को नुकसान हुआ। वहीं जमशेदपुर के पश्चिमी विधानसभा सीट पर सरयू राय के नाम की घोषणा नहीं की गई। ऐसे में सरयू ने बगावत करते हुए रघुवर दास की परंपरागत मानी जाने वाले जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और उन्हें शिकस्त दी। दोनों लोग कहीं न कहीं रघुवर दास को अपना राजनीतिक दुश्मन मानते हैं। यह मोर्चेबंदी मौजूदा सरकार से कहीं अधिक विपक्षी दल भाजपा के बड़े नेता व पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के लिए चिंता की वजह बन सकती है।