– एक स्थाई कर्मचारी हाजिरी लगाकर करता है रांची शहर की सैर
– पद से हटकर दूसरी ड्यूटी बजा रहे हैं कर्मचारी
– अस्पताल प्रबंधन ने साध रखी है चुप्पी, नहीं होती है किसी पर भी कार्रवाई
जमशेदपुर : कोल्हान का एकमात्र सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल एमजीएम में सुधार होने की बजाय दिन-ब-दिन स्थिति बद से बदतर होती चली जा रही है। यह अस्पताल गरीब गुरबो और दूरदराज से अपना इलाज कराने आने वाले लोगों के लिए वरदान है। इस अस्पताल में वैसे लोग आते हैं जो आर्थिक रूप से काफी कमजोर होते हैं। सिर्फ यही नहीं, राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने भी अस्पताल की व्यवस्था को सुधारने का बीड़ा उठा रखा है। बावजूद इसके अस्पताल की व्यवस्था में सुधार होता नहीं दिख रहा है। जिसका कारण वर्षों से अस्पताल में गूंगी, बहरी और अंधी प्रबंधन की कार्यशैली है। अस्पताल में कौन कर्मचारी काम कर रहा है, किस पद पर उसकी नियुक्ति हुई है, कौन अपने ड्यूटी से नदारद है और कौन ड्यूटी में आकर हाजिरी लगाने के बाद गायब हो जा रहा है, प्रबंधन इसकी सुधि लेना जरूरी नहीं समझता। वहीं प्रबंधन की इस अनदेखी का फायदा अस्पताल के स्थाई कर्मचारी जमकर उठा रहे हैं। अस्पताल के चार स्थाई कर्मचारी महिलाओं से ड्यूटी छोड़कर लापता है। जिसमें प्रशासनिक भवन में चपरासी के पद पर कार्यरत रिंकू मुखी 28 जनवरी से अब तक, इमरजेंसी विभाग में वार्ड बॉय के पद पर कार्यरत कर्मचारी गंगाधर करुवा 24 अप्रैल से अब तक, अस्पताल के किचन में कार्यरत बासे सोरेन नए ठेकेदार के आने से अब तक और स्किन विभाग में कक्ष सेविका के पद पर कार्यरत पुनिया तिर्की अब तक लापता है। वहीं कर्मचारी गंगाधर करुवा के बारे में बताया जा रहा है कि गायब होने से पहले वह ड्यूटी में आकर हाजिरी लगाने के बाद गायब हो जाता था।
इन सभी कर्मचारियों के द्वारा अस्पताल प्रबंधन को ड्यूटी से नदारद रहने की वजह नाही मौखिक और ना ही लिखित रूप से इसकी जानकारी ही दी है। सिर्फ यही नहीं, अस्पताल में सेनेटरी इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत स्थाई कर्मचारी अरविंद कुमार हाजिरी लगाकर रांची शहर की सैर करने निकल पड़ते हैं। जिसके एवज में सरकार इन्हें 1 लाख रुपए से ज्यादा की तनख्वाह देती है। इन साहब के द्वारा तो कभी-कभी दो-तीन दिनों से लेकर सप्ताह भर की हाजिरी तक नहीं लगाई जाती। मगर याद आने पर ये साहब शहर स्थित एमजीएम अस्पताल आते हैं और छुट्टी हुई हाजिरी के साथ-साथ एडवांस में हाजिरी बनाकर वापस सैर करने रांची निकल जाते हैं। इससे पूर्व अखबार में खबर छपने पर साहब दौड़ते हुए अस्पताल पहुंचे और प्रबंधन से काम करने के लिए अभी तक पत्र नहीं देने की बात कहने लगे। बहुत ताज्जुब की बात है कि इन्हें यह भी नहीं पता कि एक सेनेटरी इंस्पेक्टर का काम क्या होता है। तो फिर सरकार इन्हें किस बात के लिए इतनी मोटी तनख्वाह देती है। मगर अस्पताल प्रबंधन द्वारा ड्यूटी से गायब रहने को लेकर इनसे कोई स्पष्टीकरण नहीं मांगा गया। साथ ही महीनों से गायब चार कर्मचारियों से भी अस्पताल प्रबंधन ने स्पष्टीकरण नहीं मांगा है। उन्हें तो पता ही नहीं है कि ये चार कर्मचारी ड्यूटी से नदारद भी है। और तो और अस्पताल में कई ऐसे स्थाई कर्मचारी हैं जिनकी नियुक्ति जिस पद के लिए हुई है, उस पद का काम छोड़कर वे दूसरे कामों में लगे हुए हैं। वहीं काम के लिए ना ही इन्हें कोई रोकता है और ना ही कोई टोकता है। जिसके कारण कर्मचारी अपना काम छोड़कर आराम की ड्यूटी बजा रहे हैं। जिन स्थाई कर्मचारी की नियुक्ति वार्ड बॉय के पद पर हुई है, वे साहब बनकर डॉक्टरों के साथ चेंबर में बैठे रहते हैं या फिर उनके आगे पीछे घूमते रहते हैं। साथ ही खोजने पर एक भी स्थाई वार्ड बॉय विभागों में नजर नहीं आते हैं। और नजर आते भी हैं तो वे साहब के रूप में। जिसके कारण मरीज उन्हें पहचान भी नहीं पाते। जिसको लेकर ठेकेदार के कर्मचारियों से वार्ड बॉय का काम लिया जाता है। इसी तरह जिस स्थाई कर्मचारी की ड्यूटी किचन में है, वह अपना काम छोड़कर किसी और काम में लगा हुआ है। जिस कर्मचारी को ड्रेसिंग कि ड्यूटी मिली है, वह अस्पताल में घूमता रहता है और उसकी जगह दूसरे काम करते हैं। अस्पताल में मौजूद सभी विभागों में कार्यरत कर्मचारियों का यही हाल है। अस्पताल में जो चापलूस किस्म के कर्मचारी है, उन्हें सब कुछ बड़ी आसानी से मिल जाता है। जबकि दूसरी ओर ईमानदारी से काम करने वाले कर्मचारी बांट जोहते रह जाते हैं। इन कर्मचारियों को काम के लिए राज्य सरकार की तरफ से प्रत्येक माह वेतन के रूप में लाखों रुपए का भुगतान किया जाता है। मगर अपना काम ना कर ये सिर्फ चापलूसी में लगे रहते हैं। जिस नौकरी के बल पर इन्हें सुख सुविधा मिलती है और इनका घर परिवार चलता है, उसी नौकरी के प्रति ये ईमानदार नहीं है। इन कर्मचारियों को आसानी से मिली हुई सरकारी नौकरी की कद्र ही नहीं है। जबकि पूरे देश में रोजगार को लेकर मारामारी चल रही है और कई नौजवान रोजगार के लिए दर-दर भटक रहे हैं। वहीं कर्मचारियों के नदारद रहने के मामले को लेकर जब हमने अस्पताल अधीक्षक डॉ अरुण कुमार से बात की तो उन्होंने कहा कि संज्ञान में आने पर दोषी कर्मचारियों पर कार्रवाई की जाएगी।