जमशेदपुर: राज्य के एक बड़े मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में शुमार एमजीएम अस्पताल में दो मासूमों को 12 घंटे तक बेड नहीं मिला। और सही इलाज के अभाव में दोनों की मौत हो गई। मृतकों में एक साल की बच्ची और दो महीने का बच्चा शामिल है।
दोनों बच्चे सोनारी स्थित सहयोग विलेज संस्था के थे। यहां अनाथ बच्चों को रखा जाता है। घटना मंगलवार देर रात अस्पताल की एनआईसीयू (न्यू बोर्न इंटेसिव केयर यूनिट) की है। संस्थान के छह बच्चों को तबीयत खराब होने के बाद एमजीएम लाया गया था।
डॉक्टरों ने दो को एनआईसीयू में भर्ती करने की सलाह दी। लेकिन वहां जगह नहीं था। इसलिए वार्ड में रखा और उनकी जान चली गई। अस्पताल उपाधीक्षक डाॅ. नकुल चौधरी ने कहा कि उपलब्ध संसाधनों के अनुसार बेहतर इलाज की कोशिश होती है।
एनआईसीयू में कुल छह वार्मर हैं, लेकिन इसमें 15 से अधिक बच्चे भर्ती हैं। जबकि नियमत: छह बच्चे ही भर्ती हो सकते हैं। इसी कारण उन्हें भर्ती नहीं किया गया।
संस्था का आरोप- लापरवाही से हुई मौत
16 नवंबर को सहयोग विलेज संस्था के छह बच्चों की अचानक तबीयत बिगड़ी। दस्त होने के कारण बच्चे बार-बार बेहोश हो रहे थे। बच्ची की मौत के दो घंटे बाद एक बच्चे ने भी दम तोड़ दिया। इसके बाद तीन बच्चों को टीएमएच भेजा गया। एक बच्चे की हालत स्थिर है।
बुधवार को बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष पुष्पा रानी तिर्की और आलोक भास्कर अस्पताल पहुंची। अस्पताल के अधीक्षक व उपाधीक्षक से मुलाकात की। उन्होंने आरोप लगाया कि अस्पताल की लापरवाही के कारण बच्चों की जान गई है। उन्होंने अस्पताल से रिपोर्ट भी मांगी।
समिति बोली- सरकार से करेंगे शिकायत
बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष पुष्पा रानी तिर्की ने कहा कि बच्चों के इलाज में लापरवाही बरती गई। 10- 12 घंटे बाद भी बच्चों को एनआईसीयू में शिफ्ट नहीं किया गया। बच्चों की मौत पर मेडिकल रिपोर्ट मांगी है। उसके बाद सरकार से इसकी शिकायत की जाएगी।
समिति को देंगे रिपोर्ट, लापरवाही की बात नहीं
मामले में बाल कल्याण समिति के सामने ही इलाज करने वाले चिकित्सकों ने पूरी स्थिति बताई है। समिति ने मेडिकल रिपोर्ट मांगी है जो कि दी जाएगी। लापरवाही जैसी बात नहीं है। -डाॅ. नकुल चौधरी, उपाधीक्षक, एमजीएम अस्पताल