नई दिल्ली: बिजली मंत्री आर के सिंह ने शुक्रवार को कहा कि भारत अब चीन जैसे देशों से विद्युत उपकरणों का आयात नहीं करेगा. चीन के साथ जारी सीमा विवाद के बीच उन्होंने यह बात कही. राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बिजली और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रियों के सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने यह भी कहा कि वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) को आर्थिक दृष्टि से मजबूत बनाना जरूरी है क्योंकि ऐसा नहीं होने पर क्षेत्र व्यावहारिक नहीं रह पायेगा. वीडियो कांफ्रेन्सिंग के जरिये आयोजित इस सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘प्रायर रेफरेंस कंट्री (पूर्व संदर्भित देशों) से उपकरणों के आयात की अनुमति नहीं होगी. इसके तहत हम देशों की सूची तैयार कर रहे हैं लेकिन इसमें मुख्य रूप से चीन और पाकिस्तान शामिल हैं.’’
‘प्रायर रेफरेंस कंट्री’ की श्रेणी में उन्हें रखा जाता है जिन देशों से भारत को खतरा है या खतरे की आशंका है. मुख्य रूप से इसमें वे देश हैं जिनकी सीमाएं भारतीय सीमा से लगती हैं. इसमें मुख्य रूप से पाकिस्तान और चीन हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान पर जोर देते हुए उन्होंने राज्यों से भी इस दिशा में कदम उठाने को कहा. सिंह ने यह बात ऐसे समय कही जब हाल में लद्दाख में सीमा विवाद में भारत और चीन की सेना के बीच हिंसक झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गये.उन्होंने कहा, ‘‘काफी कुछ हमारे देश में बनता है लेकिन उसके बावजूद हम भारी मात्रा में बिजली उपकरणों का आयात कर रहे हैं. हम कंडक्टर, मीटर के उपकरण, ट्रांसफर्मर जैसे उत्पाद आयात कर रहे हैं जबकि इन सबका यहां विनिर्माण होता है. इन उत्पादों के आयात का कोई तुक नहीं है. यह अब नहीं चलेगा. हम देश में विनिर्माण ढांचे को और मजबूत बनाएंगे.’’
देश में 2018-19 में 71,000 करोड़ रुपये के बिजली उपकरणों का आयात हुआ जिसमें चीन की हिस्सेदारी 21,000 करोड़ रुपये रही है.हालांकि, बाद में संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने स्पष्ट किया कि यह परंपरागत बिजली उपकरणों के मामले में लागू होगा. जहां तक नवीकरणीय ऊर्जा से जुड़े उपकरणों का सवाल है, उस पर नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने रक्षोपाय शुल्क लगाया है और आने वाले समय में मूल सीमा शुल्क (बीसीडी) लगाने का प्रस्ताव है.
मंत्री ने यह भी कहा, ‘‘देश में जो बिजली उपकरण आयात होंगे, उनका यहां की प्रयोगशालाओं में गहन परीक्षण होगा ताकि यह पता लगाया जा सके कि कहीं उसमें ‘मालवेयर’ और ‘ट्रोजन होर्स’ का उपयोग तो नहीं हुआ है. उसी के बाद उसके उपयोग की अनुमति होगी.’’
मालवेयर ऐसा साफ्टवेयर या प्रोग्राम होता है जिससे फाइल या संबंधित उपकरणों को नुकसान पहुंच सकता है. वहीं ट्रोजन होर्स मालवेयर सॉफ्टवेयर है जो देखने में तो उपयुक्त लगेगा लेकिन यह कंप्यूटर या दूसरे सॉफ्टवेयर को नुकसान पहुंचा सकता है. उन्होंने बिजली संशोधन विधेयक, 2020 को लेकर कुछ तबकों द्वारा फैलायी जा रही भ्रांतियों को आधारहीन करार दिया. कुछ तबकों में यह दावा किया जा रहा है कि इस संशोधित विधेयक के जरिये केंद्र सरकार राज्यों के अधिकारों को छीनना चाहती है.
सिंह ने स्पष्ट किया कि केंद्र का कोई ऐसा इरादा नहीं है बल्कि सुधारों का मकसद क्षेत्र को टिकाऊ और उपभोक्ता केंद्रित बनाना है. मंत्री ने यह भी कहा कि मंत्रालय दीनदयाल ग्राम ज्योति योजना, एकीकृत बिजली विकास योजना (आईपीडीएस) और उदय को मिलाकर नई योजना ला रहा है.उन्होंने कहा कि इस नई योजना के तहत राज्यों को केंद्र से मिलने वाली राशि के खर्च में लचीलापन मिलेगा. राज्य जितना चाहेंगे, उन्हें अनुदान और कर्ज के रूप में पैसा मिलेगा लेकिन उन्हें बिजली क्षेत्र में जरूरी सुधार करने होंगे ताकि वितरण कंपनियों की स्थिति मजबूत हो सके.
सिंह ने कहा कि जिन राज्यों में वितरण कंपनियों का नुकसान कम है, उन्हें कोई समस्या नहीं है लेकिन अगर नुकसान ज्यादा है तो उन्हें उसे कम करने के बारे में रूपरेखा देना होगा और उसका पालन करना होगा. उसी के हिसाब से उन्हें कर्ज और अनुदान मिलेगा.वितरण कंपनियों के लिये कर्ज के रूप में घोषित 90,000 करोड़ रुपये की सहायता के बारे में मंत्री ने कहा कि कुछ राज्यों ने सहायता के लिये नुकसान की अवधि 31 मार्च, 2020 के बजाए जून 2020 तक करने का आग्रह किया है. हम इस पर विचार करेंगे.
उन्होंने कहा कि पैकेज के तहत 93,000 करोड़ रुपये के कर्ज के लिये आवेदन दिया है. इसमें से अबतक 20,000 करोड़ रुपये की मंजूरी दी जा चुकी है.सिंह ने यह भी कहा कि एक की कीमत पर दूसरे को सब्सिडी यानी क्रास सब्सिडी को 20 प्रतिशत के स्तर पर लाने के लिये राज्यों को पांच और साल का समय दिया जाएगा. उन्होंने कहा, ‘‘हमने नीति आयोग से कहा कि 2016 की बिजली शुल्क नीति के तहत 20 प्रतिशत क्रास सब्सिडी का लक्ष्य अभी हासिल नहीं किया जा सकेगा.’’