झारखंड में अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति घोटाले की उच्चस्तरीय जांच कराने की अनुशंसा अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक और पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग ने राज्य सरकार से की है। विभाग ने बुधवार को अपनी अनुशंसा मुख्य सचिव को भेज दी। विभाग ने अनुशंसा में कहा है कि जिन जिलों में छात्रवृत्ति घोटाला हुआ है वहां इसकी जांच संबंधित उपायुक्त से कराई जा सकती है। जिन जिलों में यह गड़बड़ी हुई है वहां संस्थानवार भी जांच की जा सकती है। इस मामले पर अब राज्य सरकार के निर्देश के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
कल्याण विभाग की ओर से मुख्य सचिव सुखदेव सिंह को भेजी गई अनुशंसा में उन सभी जिलों जहां छात्रवृत्ति घोटाले की खबरें आई हैं, वहां उच्चस्तरीय जांच कराने की अनुशंसा की गई है। इसमें रांची, खूंटी, लोहरदगा, लातेहार, रामगढ़, धनबाद समेत अन्य जिले शामिल हैं। इसके साथ, अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज की ओर से रांची और खूंटी में छात्रवृत्ति गड़बड़ी, संस्थानों के नाम, केस स्टडी समेत छात्रवृत्ति घोटाला करने वालों के नामों को भी मुख्य सचिव को उपलब्ध कराया गया है।
उच्च स्तरीय जांच उपायुक्त स्तर से कराई जा सकती है जांच
कल्याण विभाग ने स्पष्ट रूप से कहा है कि जिन जिलों के संस्थानों और स्कूलों ने छात्रवृत्ति घोटाला किया है, उसकी उच्च स्तरीय जांच उपायुक्त स्तर से कराई जा सकती है। अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति के लिए जिलों में ही स्कूलों का रजिस्ट्रेशन होता है। वहीं से स्कूलों को यूजर आईडी और पासवर्ड उपलब्ध कराए जाते हैं। छात्रवृत्ति के लिए स्कूल द्वारा अप्लाई करने पर जिला स्तर से ही उसका सत्यापन होता है। ऐसे में जिला स्तर से उसकी जांच करा कर जो भी दोषी लोग हैं, उन पर सीधी कार्रवाई की जा सकती है। इसमें पहले चरण में जिन स्कूलों के नाम घोटाले में सामने आ रहे हैं उनकी जांच की जा सकती है। इसके बाद दूसरे स्कूलों का भी फिजिकल वेरिफिकेशन कराया जा सकता है।
वेरिफिकेशन करने वालों पर गाज
मामले में 2019-20 की छात्रवृत्ति के लिए स्कूलों का फिजिकल वेरिफिकेशन करने वाले अधिकारियों पर गाज गिर सकती है। स्कूलों द्वारा छात्रवृत्ति के लिए आवेदन करने पर जब तक जिला स्तर पर सत्यापन नहीं हो जाता तब तक राज्य की ओर से केंद्र सरकार को अंतिम रूप से संख्या नहीं भेजी जाती है। ऐसे में जिन स्कूलों में घोटाले का मामला सामने आया है, वहां वेरीफाई करने गए अधिकारियों पर भी कार्रवाई हो सकती है।