जामताड़ा : जामताड़ा सर्खेलडीह मोहल्ला स्थित टीचर्स कालोनी निवासी साफ्टवेयर इंजीनियर कुंदन झा से साइबर ठगों ने तीन लाख रुपये ठग लिए। रविवार देर शाम इंजीनियर ने जामताड़ा साइबर थाने में इसकी शिकायत दर्ज कराई है। अपनी शिकायत में झा ने बताया कि साइबर ठग उसके इंस्टाग्राम अकाउंट पर घर बैठे आनलाइन पैसे का निवेश कर बेहतर रिटर्न पाने की तकनीक की जानकारी दी। ठगों ने उन्हें थामस कुक प्राइवेट कंपनी के नाम पर बेहतर ग्रोथ और रिटर्न का इन्वेस्टमेंट प्लान इंस्टाग्राम अकाउंट पर शेयर किया। फिर 10 हजार रुपये की राशि निवेश करने को कहा गया।
ठगों के भेजे लिंक पर इंजीनियर ने अपने बैंक खाते से 10 हजार रुपये निवेश के नाम पर ट्रांसफर कर दिए। झांसे में लेने के लिए शातिरों ने पीड़ित के खाते में कुछ हीं देर बाद 15 हजार रुपये जमा कर दिए और उनसे अधिक राशि निवेश करने को कहा। इसके लिए बार-बार अलग-अलग अकाउंट नंबर का लिंक भेजा गया। ठगों के झांसे में आकर इंजीनियर ने पहले 10 हजार फिर 20 हजार, 50 हजार और धीरे-धीरे कुल तीन लाख रुपये ठगों के अलग-अलग खातों पर भेज दिए लेकिन इतने इंवेस्टमेंट के बाद उनके खाते में कोई कैश रिटर्न नहीं आया। कुंदन को कुछ देर बाद पता चला कि वे साइबर ठगी का शिकार बन चुके हैं। बाद में उन्होंने मामले की शिकायत साइबर थाने में दी। पुलिस दोनों की मामलों की पड़ताल कर रही है। साइबर ठगों ने मिहिजाम के रहने वाले एक कारोबारी और जामताड़ा के रहने वाले एक साफ्टवेयर इंजीनियर को अपनी ठगी का शिकार बनाया है। वहीं मिहिजाम के आम बागान निवासी नरेंद्र कुमार मिश्रा से उनके घर में बिरला कैपिटल एंड फाइनेंस लिमिटेड कार्यालय खोलने के नाम पर 1.10 लाख रुपये की ठगी हुई है। इस संबंध में नरेंद्र मिश्रा ने जामताड़ा साइबर थाने में शिकायत दर्ज कराई है। पुलिस को दी शिकायत में मिश्रा ने बताया कि सेमित्र अधिकारी, प्रशांत साहा, अरुण चटर्जी व कमल अग्रवाल नामक व्यक्ति लगातार दो तीन बार उनके आम बागान स्थित आवास पर पहुंचे और प्रलोभन दिया गया कि आपके आवास में कंपनी का कार्यालय खोला जाएगा।
जिसमें प्रति माह आपको मोटी रकम में किराए के तौर पर भुगतान किया जाएगा। इसके लिए आपको पहले एक लाख रुपये आनलाइन भुगतान व नगद 10000 रुपये का भुगतान कंपनी को करना है। जब उन्होंने दोनों भुगतान कर दिया तो बताया कि एक सप्ताह बाद आपके मकान में कंपनी का कार्यालय खोल दिया जाएगा। किराए का भुगतान भी शुरू हो जाएगा। लेकिन एक सप्ताह गुजर जाने के बाद भी जब कार्यालय नहीं खुला तो संबंधित नंबर पर काल कर उन्होंने मामले की जानकारी लेनी चाही। बाद में पता चला कि वे साइबर ठगी के शिकार बन चुके हैं।