पीएम नरेंद्र मोदी ने कोरोना संकट को लेकर देश को संबोधित करते हुए कहा कि आज भी देश इससे लड़ रहा है। पीएम मोदी ने कहा कि हमने पिछले दिनों कोरोना की दूसरी लहर का पीक देखा, जिसमें हमने बड़ी संख्या में लोगों को खोया है। तेजी से मेडिकल ऑक्सीजन की मांग बढ़ी थी, जिसकी आपूर्ति के लिए सेना तक को लगाया गया। विदेशों से भी ऑक्सीजन की सप्लाई की गई। इसके अलावा जरूरी दवाओं के उत्पादन से लेकर विदेश से लाने तक में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। पीएम मोदी ने कहा कि कोरोना जैसे अदृश्य दुश्मन से लड़ाई में सबसे कारगर हथियार कोविड प्रोटोकॉल है। मास्क और दो गज की दूरी ही सबसे अच्छा उपाय है।
बड़ी खबर:
- सरकार ने फैसला लिया है कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को अब दीपावली तक आगे बढ़ाया जाएगा.
- महामारी के इस समय में, सरकार गरीब की हर जरूरत के साथ, उसका साथी बनकर खड़ी है.
- नवंबर तक 80 करोड़ से अधिक देशवासियों को, हर महीने तय मात्रा में मुफ्त अनाज उपलब्ध होगा.
- राज्यों के पास वैक्सीनेशन का जो 25 प्रतिशत काम दिया गया था वो फिर से केंद्र उठाएगी- पीएम मोदी
- 21 जून, सोमवार से देश के हर राज्य में, 18+ सभी नागरिकों के लिए, भारत सरकार राज्यों को मुफ्त वैक्सीन मुहैया कराएगी.
- 21 जून से देश में 18+ के वैक्सीनेशन के लिए राज्यों को केंद्र मुफ्त वैक्सीन मुहैया कराएगी.
पीएम मोदी ने कहा कि वैक्सीन इस संक्रमण से जंग के लिए एक सुरक्षा चक्र है, लेकिन यह भी समझना होगा कि दुनिया में वैक्सीन की सप्लाई कम है। ऐसे बहुत कम देश और कंपनियां हैं, जहां दवाएं बन रही हैं। पीएम मोदी ने पोलियो और चेचक का उदाहरण देते हुए कहा कि एक समय में हमें महामारियों से निपटने के लिए टीकों का दशकों तक इंतजार करना पड़ता था। पीएम मोदी ने कहा कि यदि आज हमारे देश में वैक्सीन न बन रही होती तो समझिए क्या होता। पीएम मोदी ने कहा कि जिस रफ्तार से देश में पहले टीकाकरण चल रहा था, उस स्पीड से तो कंप्लीट टीकाकरण के लिए 40 साल लग जाते।
पीएम मोदी ने कहा कि हम जब सत्ता में आए तो टीकाकरण की स्पीड बहुत कम थी, लेकिन हमने शत-प्रतिशत टीकाकरण के लिए मिशन इंद्रधनुष लॉन्च किया। हम 100 फीसदी टीकाकरण की ओर बढ़ ही रहे थे कि कोरोना के संकट ने हमें घेर लिया। पीएम मोदी ने कहा कि दुनिया में आशंका जताई जा रही थी कि कैसे भारत इतनी बड़ी आबादी को बचा पाएगा। लेकिन नीयत साफ होती है तो अच्छे परिणाम आते ही है। तमाम आशंकाओं को दरकिनार करके हमने 1 साल के भीतर दो मेड इन इंडिया वैक्सीन तैयार कर दीं। आज जब मैं आपसे बात कर रहा हूं तो देश में 23 करोड़ से ज्यादा कोरोना वैक्सीन की डोज दी जा चुकी हैं।
हमारे यहां कहा जाता है कि विश्वास से ही सिद्धि होती है। हमें पूरा विश्वास था कि हमारे वैज्ञानिक बहुत ही कम समय में वैक्सीन बनाने में सफलता हासिल कर लेंगे। वैज्ञानिक जब इस बारे में प्रयास कर ही रहे थे तो हमने लॉजिस्टिक की तैयारियां शुरू कर दी थीं। पिछले साल जब कोरोना के कुछ हजार केस ही थे, तभी हमने वैक्सीन टास्क फोर्स का गठन कर दिया था। वैक्सीन निर्माताओं को क्लीनिकल ट्रायल से लेकर फंड तक की मदद की गई। आत्मनिर्भर भारत के तहत मिशन कोविड सुरक्षा के माध्यम से भी कंपनियों को हजारों करोड़ रुपये मुहैया कराए गए।
पीएम नरेंद्र मोदी ने तीसरी लहर में बच्चों के शिकार होने की आशंका को लेकर उन्होंने कहा कि 2 टीकों पर ट्रायल चल रहा है। यही नहीं पीएम मोदी ने कहा कि एक नेजल वैक्सीन पर भी काम चल रहा है, जिसका नाक में छिड़काव किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हमने प्राथमिकता के आधार पर हेल्थ वर्कर्स और अधिक आयु के लोगों को टीके लगाए गए। यदि हेल्थ वर्कर्स को दूसरी लहर से पहले वैक्सीन न लगी होती तो क्या होता। ज्यादा से ज्यादा हेल्थ वर्कर्स को टीका लगने के चलते ही वे दूसरों की सेवा में लग पाए और लाखों लोगों का जीवन बचा पाए।
कोरोना के लगातार कम होते मामलों के बीच देश के सामने अलग-अलग सुझाव भी आने लगे। यह भी कहा जाने लगा कि आखिर राज्य सरकारों को टीकों और लॉकडाउन के लिए छूट क्यों नहीं मिल रही है। इसके लिए संविधान का जिक्र करते हुए यह दलील दी गई कि आरोग्य तो राज्य का विषय है। इसके बाद केंद्र सरकार ने गाइडलाइंस तैयार कीं और राज्यों को छूट दी कि वे अपने स्तर पर प्रतिबंध लागू कर सकें। पीएम मोदी ने कहा कि इस साल 16 जनवरी से 30 अप्रैल तक वैक्सीनेशन का कार्यक्रम केंद्र की देखरेख में ही आगे बढ़ा था। इस बीच कई राज्य सरकारों ने कहा कि वैक्सीन का काम डिसेंट्रलाइज किया जाए। कई तरह के स्वर उठे कि वैक्सीनेशन के लिए आयु वर्ग क्यों बनाए गए। कुछ आवाजें तो ऐसी भी उठीं कि बुजुर्गों का वैक्सीनेशन पहले क्यों हो रहा है। काफी चिंतन-मनन के बाद यह फैसला हुआ कि यदि राज्य सरकारें अपनी ओर से प्रयास करना चाहती हैं तो भारत सरकार क्यों ऐतराज करे।
इसलिए 16 जनवरी से चली आ रही व्यवस्था में एक बदलाव किया गया। 1 मई से 25 फीसदी काम राज्यों को सौंप दिया गया। उसे पूरा करने के लिए उन्होंने प्रयास भी किए। लेकिन इसी दौरान उन्हें पता भी चला कि इतने बड़े अभियान में क्या समस्याएं आ रही हैं। हमने मई में देखा कि कैसे लगातार बढ़ रहे केस, टीकों के लिए बढ़ते रुझान और दुनिया में टीकों की स्थिति को देखते हुए राज्यों की राय फिर बदलने लगी। कई राज्यों ने कहा कि पहले वाली व्यवस्था ही अच्छी थी। राज्यों की इस मांग पर हमने भी सोचा कि राज्यों को दिक्कत न हो और सुचारू रूप से टीकाकरण हो। इसलिए हमने 1 मई से पहले वाली व्यवस्था को लागू करने का फैसला लिया है। पीएम मोदी ने कहा कि अब केंद्र सरकार ही राज्यों को दी गई वैक्सीनेशन की 25 फीसदी जिम्मेदारी भी उठाएगी। पीएम मोदी ने कहा कि दो सप्ताह तक हम यह तैयारी कर लेंगे।