रांची: लॉकडाउन के दौरान किए गए इनोवेशन शिक्षकों के प्रमोशन के आधार बनेंगे। इसके लिए शिक्षकों को अब हर दिन एक फॉर्म भरना पड़ रहा है, जिसमें उन्हें यह बताना है कि उस दिन उन्होंने कौन सा इनोवेशन किया। जिस विषय के शिक्षक हैं उस विषय में इनोवेशन कर उसकी जानकारी उन्हें हर दिन व्हाट्सएप ग्रुप में देनी होगी, ताकि बच्चे उससे लाभान्वित हो सकें। इनोवेशन में विषय और चैप्टर से संबंधित ऑडियो-वीडियो या फिर सरल तरीके से टेक्स्ट ही देना होगा। किसी पाठ को वे किस तरह सरल तरीके से बताते हैं, जिससे छात्र आसानी से समझ सकते हैं यह देखा जाएगा। स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग उसी आधार पर शिक्षकों का डेटाबेस तैयार करेगा और देखेगा कि लॉकडाउन अवधि में शिक्षकों ने कितने दिन अपनी ओर से इनोवेशन कर छात्र-छात्राओं के लिए कंटेंट उपलब्ध कराएं। जो शिक्षक ज्यादा इनोवेशन किए होंगे उन्हें प्रमोशन में इसका लाभ मिलेगा। साथ ही, जिला राज्य और राष्ट्रपति स्तर पर मिलने वाले पुरस्कार में भी वेटेज मिलेगा। इसके अलावा इस काम की चर्चा उनके सर्विस बुक में भी दी जाएगी।
विभाग को भी समय-समय पर मिलेगा लाभ:
इनोवेशन करने वाले शिक्षकों का डाटाबेस तैयार हो जाने से शिक्षा विभाग भी समय-समय पर उनसे लाभ ले सकेगा। विभाग के पास विषयवार इनोवेशन करने वाले शिक्षकों की सूची उपलब्ध हो जाएगी। जब भी इनोवेशन, पाठ्यक्रम तैयार करने और पाठ्यक्रम सरल करने संबंधी कार्य होंगे इन्हीं शिक्षकों को लगाया जाएगा।
अलग से दिए जा रहे डिजिटल कंटेंट:
शिक्षकों के इनोवेशन के अलावा हर दिन छात्र-छात्राओं को अलग से डिजिटल कंटेंट भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं इसमें टेक्स्ट के साथ-साथ ऑडियो वीडियो के माध्यम से भी उन्हें विषयों को समझाया जा रहा है। इसके अलावा दूरदर्शन के माध्यम से भी पहली से बारहवीं तक के छात्र-छात्राओं को पढ़ाया जा रहा है। शिक्षकों के इनोवेशन इसके अतिरिक्त छात्र-छात्राओं को उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
शिक्षकों को हर दिन 10-10 छात्रों से करनी होगी बात:
डीजी-साथ के तहत शिक्षकों को हर दिन छात्रों को डिजिटल कंटेंट उपलब्ध कराने के बाद 10-10 छात्रों से बात करनी होगी। छात्रों को दिया गया कंटेंट मिला या नहीं और जो कंटेंट दिया गया उसमें उन्हें किसी प्रकार की कोई समस्या तो नहीं है, इसकी जानकारी ली जाएगी।
शिक्षकों को हर दिन भरे जाने वाले फॉर्म में इसकी जानकारी देनी होगी कि उस दिन उन्होंने कितने छात्र छात्राओं से बात की। वहीं बीआरपी-सीआरपी हर दिन 15 शिक्षकों से बात कर इसकी जानकारी लेंगे कि शिक्षकों ने बच्चों को कंटेंट उपलब्ध कराया या नहीं और उनसे बात की या नहीं। यह भी अपनी रिपोर्ट विभाग को भेजेंगे।