साहेबगंज। जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में शहीद कुलदीप उरांव का शनिवार को राजकीय सम्मान के साथ अंत्येष्टि कर दी गयी।साहेबगंज जिले के जिरवाबड़ी के वार्ड नं 12 रहने वाले शहीद कुलदीप उरांव का अंतिम संस्कार जैप-9 मुख्यालय से सटी उसकी निजी जमीन पर किया गया।जनजातीय परंपरा के अनुसार शहीद कुलदीप उरांव को उसकी मां की कब्र के बगल में ही दफनाया गया।इससे पहले शहीद का पार्थिव शरीर राँची से हेलीकॉप्टर से साहेबगंज स्थित जैप-9 ग्राउंड पहुंचा,जहां सीआरपीएफ के जवानों ने शहीद को अंतिम सलामी दी।इस दौरान जिले के उपायुक्त वरुण रंजन ,पुलिस अधीक्षक अनुरंजन किस्पोट्टा, डीआईजी नरेंद्र कुमार सिंह राजमहल विधायक अनंत ओझा से लेकर जिले तमाम बड़े अधिकारियों ने उन्हें अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की।शहीद के अंतिम दर्शन के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी और अंतिम यात्रा को नगर भ्रमण भी कराया गया।
मां के कब्र के बगल में दफनाए गए शहीद कुलदीप।शहीद कुलदीप उरांव को जैप-9 के बगल में उनके पैतृक जमीन पर दफनाया गया। बता दें कि जहां शहीद को दफनाया। बगल में ही उनकी मां की कब्र है। शहीद की मां का निधन करीब दो साल पहले हुआ था। शहीद कुलदीप कश्मीर की राजधानी श्रीनगर के मालबाग इलाके में गुरुवार की रात सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ में साहेबगंज निवासी सीआरपीएफ जवान कुलदीप उरांव शहीद हो गए थे। कुलदीप के पिता घनश्याम उरांव ने भी बताया कि आरपीएफ कमांडेंट ने उन्हें फोन करके इसकी सूचना दी।घनश्याम उरांव ने कहा कि साआरपीएफ में मैंने भी सेवा की है। बेटा भी सीआरपीएफ में सेवा करते हुए शहीद हो गए। बेटे की शहादत पर हमें गर्व है। लेकिन सरकार इसका बदला ले। शहीद कुलदीप की पत्नी वंदना उरांव कोलकाता पुलिस में कांस्टेबल हैं। उनका बेटा यस 9 साल का है और बेटी वैसी 6 साल की। दो बच्चे अपनी मां के साथ कोलकाता में रहते हैं। साहेबगंज में उनके पिता और भाई रहते हैं।
शहीद कुलदीप उरांव को श्रद्धांजलि देने व उनके अंतिम दर्शन को पहुंची गांव की महिलाएं।
दो महीने में साहेबगंज के तीन सपूतों ने दी देश के लिए कुर्बानी
साहेबगंज से 2 महीनों में 3 वीर सपूतों ने अपने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देते हुए अपने जिला ही नहीं अपने राज्य एवं देश का नाम रोशन किया है। जिले में देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले वीर सपूतों की लंबी लिस्ट है। जिले के लाल देश की सीमा की रक्षा के लिए अग्रिम चौकियों पर तैनात रहते हैं। यहां के कई जवान अपनी शहादत दे चुके हैं। कभी आतंकवादियों तो कभी नक्सलियों से लोहा लेने में यहां के जवान शहीद हुए हैं। कारगिल युद्ध के दौरान भी यहां के जवान शहीद हुए थे। पिछले माह 16 जून को भारत चीन सीमा पर गलवान घाटी में साहिबगंज के जवान कुंदन कुमार ओझा वीरगति को प्राप्त हुए थे।