धनबाद. राष्ट्रीय स्तर की तीरंदाज 23 वर्षीय सोनू खातून की सब्जी बेचते हुए वीडियो और फोटो वायरल होने और इस संबंध में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जानकारी मिलने के बाद उन्हें जिला प्रशासन की ओर से आर्थिक सहायता पहुंचायी गई है। सड़क किनारे सब्जी बेचते हुए सोनू खातून की फोटो और वीडियो वायरल हुई थी। सोनू ने जानकारी दी थी कि परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है इसलिए उन्हें सब्जी बेचना पड़ रहा है। साथ ही उनका धनुष भी टूट गया है जिससे उनकी प्रैक्टिस छूट गई है। बता दें कि सोनू खातून जिले के झरिया स्थित जेलगोरा थाना क्षेत्र की रहनेवाली हैं।
दरअसल, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के ट्विटर वॉल पर एक वीडियो शेयर कर जानकारी दी गई कि कई मेडल जीत चुकी नेशनल लेवल की आर्चरी प्लेयर सोनू खातून इनदिनों सड़क किनारे सब्जी बेचने को मजबूर है। इसके बाद मुख्यमंत्री ने धनबाद के डीसी अमित कुमार को सोनू खातून के मदद का निर्देश दिया। मुख्यमंत्री ने लिखा कि इस तरह के खिलाड़ियों को हमारी सरकार चिन्हित कर रही है ताकि उन्हें हर सुविधा और मौका मिल सके। हालांकि सीएम को जानकारी देने से एक दिन पहले यानी दो जून को ही धनबाद के डीसी ने सोनू खातून की आर्थिक मदद करते उन्हें 20 हजार रुपए का चेक सौंपा था। इस दौरान धनबाद के उपायुक्त अमित कुमार ने कहा कि भविष्य में भी सोनू खातून को जिला प्रशासन की ओर से हरसंभव सहायता दी जाएगी।
बता दें कि सोनू खातून झरिया के जेलगोरा थाना के पास में रहती है और तीरंदाज है। उनका धनुष टूट जाने के कारण वह अपनी प्रतिभा को आगे बढ़ाने में असमर्थ थी। सब्जी बेचकर जीविकापार्जन के लिए वह संघर्षरत थी। जब उपायुक्त को इसकी जानकारी मिली तो उन्होंने सोनू खातून को धनुष लेने के लिए सहायता स्वरूप 20 हजार का चेक सौंपा। चेक मिलने के बाद सोनू खातून ने कहा कि इन पैसों से वह धनुष खरीदेगी और अपनी प्रतिभा को और आगे बढ़ाएगी।
पुणे में जीता था कांस्य पदक
जानकारी के मुताबिक, 2011 में पुणे में आयोजित 56वीं राष्ट्रीय स्कूल आर्चरी कंम्पिटिशन में सोनू खातून ने पार्टिसिपेट किया था और उन्होंने यहां कांस्य पदक जीता था। इसके बाद भी सोनू ने राज्य स्तर की कई प्रतियोगिताओं में भाग लिया और मेडल जीते। वे टाटा आर्चरी एकेडमी का हिस्सा भी रही हैं। दो साल पहले उनका धनुष टूट गया था जिसके चलते उनकी प्रैक्टिस छूट गई। उनके परिवार में मां शकीला खातून और पिता इरदीश मिंया के अलावा दो बहनें हैं। दोनों बहनें पढ़ाई कर रही हैं। पिता मजदूर हैं जबकि उनकी मां दूसरों के घरों में झाड़ू पोंछा कर गुजारा करती हैं लेकिन लॉकडाउन में सबकुछ बंद हो गया जिससे उनके घर की आर्थिक स्थिति खराब हो गई और उन्होंने सड़क किनारे सब्जी बेचना शुरू किया।