रांची: झारखंड लोकसेवा आयोग (JPSC) अगस्त महीने से सदस्यविहीन हो जायेगा. आयोग के एकमात्र सदस्य का कार्यकाल जुलाई माह में समाप्त हो रहा है. अगर तबतक सदस्यों की नियुक्ति नहीं की गयी तो कई नीतिगत निर्णय लेने में दिक्कतें आयेंगी. दरअसल, जेपीएससी में एक अध्यक्ष और 8 सदस्यों की व्यवस्था का प्रावधान है फिलहाल जेपीएससी में सदस्यों की कमी है. जेपीएससी की नियमावली के अनुसार किसी भी नीतिगत निर्णय लेने के लिए कम से कम एक सदस्य का होना आवश्यक है.
किसी का कार्यकाल हुआ समाप्त, किसी ने दिया इस्तीफा
बताते चलें कि बीते साल के अंत और इस साल की शुरुआत में किसी सदस्य का कार्यकाल समाप्त हुआ तो किसी ने इस्तीफा दे दिया. जेपीएससी नियमावली के बावजूद आयोग में कुल 4 सदस्यों में अब एक ही बचे हुए हैं. साल 2020 के आखरी महीने यानी दिसंबर में एक सदस्य श्रवण साय का कार्यकाल समाप्त हो गया है. इसी तरह 2021 की शुरुआत यानी जनवरी में एक अन्य सदस्य टीए साहू ने जनवरी में इस्तीफा देकर वापस रांची विश्वविद्यालय में योगदान दिया है. इसके बाद सदस्य के रूप में कार्यरत आईएएस भगवान दास का कार्यकाल 26 अप्रैल को समाप्त हो गया. अभी एकमात्र सदस्य डॉ एके चट्टोराज हैं, इनका कार्यकाल भी 26 जुलाई को समाप्त हो रहा है. सदस्य के न रहने से यहां सिर्फ अध्यक्ष ही अब रह जायेंगे.
फिलहाल सदस्य मनोनयन की प्रक्रिया भी शुरू नहीं
झारखंड लोक सेवा आयोग में अध्यक्ष अमिताभ चौधरी के अलावा एक ही सदस्य बचे हुए हैं. फिलहाल सदस्य मनोनीत करने को लेकर कोई प्रक्रिया संचालित नहीं हो रही है. कोरोना महामारी का प्रकोप झारखंड लोक सेवा आयोग पर भी पड़ा है. कई परीक्षाएं स्थगित कर दी गयीं हैं. नीतिगत निर्णय भी नहीं लिया जा रहा है. अगले 2 महीने में यह आयोग सदस्यविहीन हो जाएगा और यहां के अभ्यर्थियों के लिए यह चिंता का विषय है.
कैबिनेट से लेनी पड़ती है स्वीकृति
आयोग में सदस्य का कार्यकाल 5 साल या फिर उम्र सीमा 62 साल के आधार पर है. विश्वविद्यालय के एक शिक्षक की सेवानिवृत्ति उम्र सीमा 65 साल निर्धारित है. ऐसे में डॉक्टर चट्टोराज रांची विश्वविद्यालय में योगदान कर सकते हैं. आयोग में सदस्य की नियुक्ति राज्य सरकार की तरफ से की जाती है. इसके लिए कैबिनेट से स्वीकृति लेने के बाद अंतिम स्वीकृति राज्यपाल से ली जाती है.