रांची: झारखंड के विभिन्न विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में कार्यरत घंटी आधारित अनुबंध सहायक प्राध्यापकों ने अपनी मांगों को लेकर शनिवार को दसवें दिन भी राजभवन के सामने अनिश्चितकालीन सत्याग्रह आंदोलन जारी रखा। झारखंड सहायक प्राध्यापक अनुबंध संघ के डाॅ. सिमोन सोरेन ने कहा कि राज्य के अधिकांश विश्वविद्यालयों के स्नातकोत्तर विभागों एवं अंगीभूत महाविद्यालयों में कक्षाएं प्रभावित है। असिस्टेंट प्रोफेसर सत्याग्रह आंदोलन पर हैं। इसके बावजूद उनकी मांगों पर किसी का भी ध्यान नहीं है।
उच्च शिक्षा विभाग ने एक जनवरी, 2021 को जो संकल्प पारित किया है, वह राज्य सरकार की शिक्षा नीति व अनुबंध कर्मियों को दिए गए आश्वासन का पोल खोल कर रही है। यूजीसी रेगुलेशन में कहीं भी घंटी आधारित अनुबंध सहायक प्राध्यापक का जिक्र नहीं है। विगत तीन वर्षों से इस व्यवस्था के शिकार यहां के पीएचडी/नेट/जेआरएफ/गोल्ड मेडलिस्ट राजभवन के सामने अनिश्चितकालीन सत्याग्रह आंदोलन पर बैठे हैं।
सरकार ने शिक्षकों से वादा किया था कि अनुबंधकर्मियों को सम्मान की जिंदगी मिलेगी, समान कार्य समान वेतन मिलेगा, परंतु तीन वर्षों तक सेवा लेने के बाद 31 मार्च से अनुबंध कर्मी असिस्टेंट प्रोफेसरों को ही हटाने के लिए 1जनवरी, 2021को संकल्प पारित कर दिया गया। बीबीएमकेयू विश्वविद्यालय के डॉ. कमलेश पांडेय ने कहा कि उच्च शिक्षा विभाग के संकल्प में घंटी आधारित अनुबंध शिक्षकों के पुनर्चयन के लिए नए पैनल के गठन का निर्देश देने के अलावा इन शिक्षकों को हटाकर नए शिक्षकों की नियुक्ति का आदेश देकर सरकार ने इनके प्रति कल्याणकारी भूमिका नहीं निभाई है, जबकि राज्य को हमेशा कल्याणकारी संस्था बनकर रहना चाहिए।
रांची विश्वविद्यालय के डॉ. महावीर दास ने कहा कि सरकार को अविलंब संशोधित करते हुए पूर्व के पैनल (02.03.2017) पर कार्यरत घंटी आधारित अनुबंध सहायक प्राध्यापकों का सम्मान करते हुए निश्चित मासिक मानदेय के साथ 65 वर्षों की आयु तक सेवा विस्तार करे। सत्याग्रह आंदोलन में डाॅ. महावीर दास, डाॅ. कमलेश, डाॅ. विकास, डाॅ. व्यास कुमार, डाॅ. एसके झा, डाॅ. गोपीनाथ पांडेय सहित अन्य उपस्थित रहे।