गिरिडीह: प्रेम और सद्भाव की इससे बड़ी मिसाल क्या हो सकती है। कोरोना के खौफ ने लखिया के अपनों को तो डिगा दिया मगर इंसानियत को मानने वाले मुस्लिम युवकों को नहीं। उन्होंने वृद्धा की अर्थी को कंधा दिया जिससे उनकी अंतिम यात्रा पूरी हुई।
यह घटना रविवार की है। गिरिडीह शहर का बरवाडीह इलाका। 72 साल की लखिया देवी को मधुमेह की बीमारी थी। तबीयत खराब रहती थी। हाल के दिनों में उन्हें लकवा मार दिया था। परिजनों ने उन्हें इलाज के लिए रांची के एक नर्सिंग होम में भर्ती कराया था मगर वहां उनकी स्थिति नहीं संभली। तब घर वाले गिरिडीह वापस ले आए। शनिवार की रात उनकी मौत हो गई। इसकी सूचना के बाद सगे-संबंधी शव के अंतिम दर्शन को घर पहुंचे थे लेकिन कोरोना के भय से सभी ने दूरी बना कर रखी। रविवार को वृद्धा के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार किया जाना था लेकिन कोरोना के कारण कोई रिश्तेदार घर नहीं पहुंचा। घर पर केवल उनका बेटा जागेश्वर तूरी और पोता समेत परिवार के कुछ लोग शामिल थे। उनके सहारे आठ किलोमीटर कंधा देकर शव को मुक्तिधाम तक पहुंचाना संभव नहीं था।
कोरोना के डर से शव को नहीं अठाए जाने की जानकारी जब पहाड़ीडीह के मुस्लिम युवकों को हुई तो बरवाडीह के शमशेर आलम, मो. राजन, मो. राज, मो. बिलाल उर्फ गुड्डन, मो. ताहिद और सलामत समेत 50 युवा वहां आ पहुंचे। ये लोग न केवल वृद्धा की अंतिम यात्रा में शामिल हुए बल्कि उसके पार्थिव शरीर को बारी-बारी कंधा देकर मुक्तिधाम पहुंचाया। वहां जागेश्वर ने हिंदू रीति-रिवाज से मां को मुखाग्नि दी।