चतरा: कोरोना काल में मजदूर हर तरफ से परेशान हो रहे हैं। वायरस और लॉकडाउन के चलते उद्योग धंधे बंद हुए तो उनके सामने रोजी-रोटी का संकट आया। मुश्किल वक्त में उन्हें अपना राज्य और घर याद आया। वे घर लौटना चाहे तो कोई साधन नहीं था। कुछ मजदूर तो जैसे-तैसे यहां तक की पैदल ही गांव घर पहुंच गए। आखिरकार श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई गई। मजदूरों को कुछ सुविधा हुई वे अपने घर पहुंचे। अब घर पर भी रोजी-रोटी का संकट है। साथ ही कई मामलों में गांव वाले इनका बहिष्कार कर रहे हैं। चतरा जिले में एक ऐसा ही मामला सामने आया है।
गांव वालों ने परिवार को पेड़ के नीचे रहने को कहा: झारखंड के सबसे उग्रवाद प्रभावित जिलों में शुमार चतरा जिला के लावालोंग प्रखंड के टिकुलिया गांव में कोरोना के शक में एक परिवार को सजा मिल रही है। इस गांव में अनिल गंझू अपने परिवार के साथ घर पहुंचा तो गांव के लोगों ने उन्हें अपने छत के नीचे नहीं रहने दिया, बल्कि पेड़ के नीचे रहने का फरमान जारी कर दिया।
प्रशासन तक पहुंची सूचना: विवश होकर अनिल गंझू का पूरा परिवार एक पेड़ के नीचे पिछले कुछ दिनों से रह रहा है। हालांकि इस बात की जानकारी मिलने के बाद प्रशासन में हड़कंप है।
यूपी से आया है अनिल: बताया जा रहा है कि अनिल छह दिन पहले यूपी से लौटा है। प्रतापपुर तक बस से आया था, जिसके बाद पैदल ही गांव पहुंचा। गांव आने पर उसकी तबियत खराब हो गई। उसके बाद से भाई जगदीश, पत्नी, मां और बच्चे जामुन के पेड़ के नीचे रह रहे हैं। उपमुखिया बाबूलाल यादव ने बताया कि अनिल के बीमार होने की सूचना बीडीओ और एसडीओ को दी, लेकिन आज तक स्वास्थ्य विभाग की टीम नहीं पहुंची।