रांची: राज्य सरकार द्वारा कोर्ट फीस में बढ़ोतरी के विरोध में झारखंड स्टेट बार काउंसिल के आह्वान पर सोमवार को पूरे प्रदेश में अधिवक्ताओं ने न्यायिक कार्य से अपने आपको अलग रखा।
एसोसिएशन के आह्वान पर रांची समेत राज्य के विभिन्न जिलों में इसका खासा असर देखने को मिला। उच्च न्यायालय में सोमवार को न्यायिक कार्य लगभग ठप्प रहा। कोर्ट फीस में बढ़ोत्तरी के खिलाफ राज्यभर के अधिवक्ता एकजुट नजर आये। कोर्ट परिसर में अधिवक्ताओं ने काला बिल्ला लगा कर विरोध दर्ज कराया। रांची सिविल कोर्ट के अधिवक्ताओं ने व्यवहार न्यायालय से अल्बर्ट एक्का चौक तक विरोध मार्च भी निकाला।
हाईकोर्ट के अधिवक्ता धीरज कुमार ने कहा कि इस बढ़ोत्तरी से अधिवक्ताओं से अधिक मुवक्किलों पर आर्थिक बोझ बढेगा, इसलिए राज्य सरकार को इस बढ़ोत्तरी पर पुनर्विचार करने की जरूरत है। वहीं सिविल कोर्ट के बाहर कई ऐसे फरियादी भी अपने मुकदमों की सुनवाई के लिए पहुंचे थे, जिन्हें अधिवक्ताओं के कार्य बहिष्कार की जानकारी नहीं थी,ऐसे लोगों को बैरंग वापस लौटना पड़ा, अधिवक्ताओं के कार्य बहिष्कार से राज्यभर में न्यायिक कार्यों की रफ्तार लगभग थम सी गई है। इससे पहले सरकार को पत्र के माध्यम से आग्रह किया गया था , लेकिन कोई पहल नहीं होने पर अधिवक्ताओं ने खुद को न्यायिक कार्य से दूर रखने का निर्णय लिया। अधिवक्ता धीरज कुमार ने कहा कि सरकार को हो या निजी, जनहित एवं अधिवक्ता हित में सभी साथ है।
बताया गया है कि हाईकोर्ट के सरकारी अधिवक्ता भी दबी जुबान में कोर्ट फीस में बढ़ोत्तरी का विरोध करते नजर आये। यह भी जानकारी मिली है कि कोर्ट शुल्क में बढ़ोत्तरी के खिलाफ अगले एक-दो दिनों में अधिवक्ताओं की ओर से एक जनहित याचिका भी दायर की जाएगी। कोर्ट शुल्क में बढ़ोत्तरी का विरोध कर रहे अधिवक्ताओं का कहना है कि फीस में बढ़ोत्तरी होने से जहां आमजन को परेशानियों का सामना करना होगा, वहीं लोग यह चाहेंगे कि आपसी सहमति से ही मामले को सुलझा लिया जाए और जिनके पास कोर्ट फीस के लिए पैसा नहीं होगा, वे अदालत का दरवाजा खटखटाने में असमर्थ होंगे। ऐसे में अधिवक्ताओं की मुश्किलें भी बढ़ेगी।