रांची : कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से जारी लॉकडाउन के संकट के बीच झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने राज्य के लोगों के कल्याण के लिए कई काम किये. उन्हें दूर-दराज के राज्यों से सरकारी खर्च पर उनके घर पहुंचाया. बाहर से आने वाले कारीगरों को रोजगार देने का वादा किया. अब सरकार ने 141.56 करोड़ रुपये खर्च करके गरीबों के घर तक अनाज पहुंचाने का निर्णय लिया है.
झारखंड सरकार ने केंद्र सरकार द्वारा कोरोना संकट काल में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के लाभार्थियों को जुलाई से नवंबर 2020 तक की अवधि के लिए खाद्यान्न पहुंचाने पर आने वाले खर्च के रूप में 141.56 करोड़ रुपये के संभावित व्यय को मंगलवार को स्वीकृति दी.
राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिमंडल की यहां हुई बैठक में इस आशय का फैसला लिया गया. उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने कोरोना संक्रमण के काल में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत गरीबों को प्रति व्यक्ति प्रति माह पांच किलो अनाज देने की घोषणा की है, जिसे लाभार्थियों तक पहुंचाने के लिए उसके परिवहन एवं वितरण कार्य में 141 करोड़ 56 लाख रुपये व्यय होने का अनुमान है.
उन्होंने बताया कि मंत्रिमंडल ने इसकी स्वीकृति दे दी है. इसके अलावा, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 से अनाच्छादित सुपात्र 15 लाख अन्य लोगों को राज्य सरकार के मापदंड पर झारखंड राज्य खाद्य सुरक्षा योजना के तहत अनुदानित दर पर खाद्यान्न (चावल) उपलब्ध कराने की स्वीकृति भी दी गयी. राज्य में 18 से 22 सितंबर तक विधानसभा की बैठक आहूत करने को मंजूरी दी गयी.
उल्लेखनीय है कि कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए 25 मार्च, 2020 से एक साथ पूरे देश में लॉकडाउन की घोषणा कर दी गयी थी. इसके बाद देश भर में करोड़ों लोग बेरोजगार हो गये. अन्य राज्यों में काम करने वाले 7 लाख से अधिक लोग झारखंड लौट गये. ऐसे लोगों के लिए सरकार अलग-अलग योजनाओं पर काम कर रही है, ताकि उन्हें इस संकटकाल में कुछ मदद मिल सके.