केरल में कुछ बदमाशों ने हथिनी को विस्फोटकों से भरे फल दिए। खाते वक्त धमाका हुआ और हथिनी घायल हो गई। करीब एक हफ्ते तक वह तड़पती रही, फिर दम तोड़ दिया।
इंसान पर भरोसे की ऐसी कीमत चुकानी होगी, उसने सोचा न होगा
केरल के मलाप्पुरम के एक फॉरेस्ट ऑफिसर ने सोशल मीडिया पर उस हथिनी की दर्दनाक कहानी सामने रखी। जंगल में रहने वाली वो हथिनी खाने की तलाश में नजदीकी गांव में चली गई थी। सड़कों पर भटकते हुए उसे वही दरिंदे मिले जिन्होंने उसे पटाखों से भरे फल दिए। उस हथिनी की गलती यही थी कि उसने इन इंसानों में अपनी छवि देखी। उसे लगा कि ये क्यों कोई छल करेंगे। उसने फल लिया और जैसे ही उसे खाना शुरू किया, वो फट गया। धमाका इतना तेज था कि उसका मुंह और सूंढ बुरी तरह घायल हो गए। वो बदहवास हो गई। उसे चिंता अपनी नहीं रही होगी, अपने बच्चे के लिए परेशान होगी। एक मां के लिए उसके बच्चे की जान सबसे कीमती होती है। और इंसानों की एक हरकत से उसके बच्चे की जान पर बन आई थी।
अपना दुख अकेले पी गई वो
इतनी चोट लगी थी, उसके मन में जरूर आया होगा कि उन लोगों को कुचल दे। उन इंसानों को सबक सिखाए मगर उसने ऐसा कुछ नहीं किया। वह गांव की पगड़डियों पर दर्द में कराहती इधर-उधर भागती रही। मजाल है जो उसने गुस्से में किसी घर को तहस-नहस किया हो। किसी गांववाले को नुकसान पहुंचाने की बात तो छोड़ ही दीजिए। किसी तरह वह हथिनी वेल्लियार नदी में पहुंची और उसी में खड़ी हो गई। शायद दर्द से थोड़ी राहत मिली होगी।
पता चल गया था कि वक्त आ गया
हथिनी को शायद एहसास हो गया था कि वह नहीं बचेगी। जब फॉरेस्ट ऑफिशियल्स को पूरे वाकये का पता चला तो उन्होंने कैद कर रखे गए दो हाथियों को बुलवाया ताकि वे हथिनी को बाहर निकाल सकें। हथिनी ने कुछ नहीं करने दिया। वह उसी नदी में खड़ी रही। 27 मई को शाम 4 बजे उसने दम तोड़ दिया। गांववाले और फॉरेस्ट अधिकारियों ने एक ट्रक में उसके शव को लादा और जंगल ले जाकर अंतिम संस्कार कर दिया।
दरिंदों के लिए सोशल मीडिया पर फूटा लोगों का गुस्सा
सोशल मीडिया पर जब यह खबर वायरल हुई तो लोग उन दरिंदों को लानत भेजने लगे। सबने कहा कि वो इंसान नहीं राक्षस थे। कुछ ने कहा कि इंसान की ऐसी हरकतों की वजह से कोरोना वायरस जैसी महामारी आती है। देखिए लोगों की प्रतिक्रियाएं।