रांची : जब कोयले की कीमत 90 रुपए से 60 रुपए हो गई, तब आखिर कोयले की नीलामी करना चाहती है केंद्र सरकार। कोरो ना के कहर से उद्योग धंधा चौपट हो गया है। इस वक्त कोयला की कीमत कम हो गई है तब कोयला को आने पौने दामों में बेचकर अंबानी, अदानी, लोहिया को लाभ पहुंचाना चाहती है केंद्र सरकार। यह बाते झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने शनिवार को प्रदेश कार्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहीं। उन्होंने कहां कि भाजपा ने इससे पहले भी अडानी, अंबानी, लोहिया को लाभ पहुंचाया है, और फिर कोयला ब्लाक इन्हीं चंद लोगों के पास बटेगा।
भाजपा कहती है कि हमें विदेश पूंजी की बचत होगी। मै बीजेपी के नेताओं को बता देना चाहता हूं कि इस कोल ब्लॉक की नीलामी में शत प्रतिशत एफ डी आई होगा। इसकी छूट दी गई है। मतलब विदेशी कम्पनियां आएगी और इंटरनेशलन मार्केटिंग होगी। कोरोना के कारण कोयला की कीमत, कम लागत में उन्हें मिलेगी। इसे बाहर किसी विदेशी कंपनी को सस्ते दामों में कोयला बेच देंगे। इसका हमारे पास उदाहरण है गोड्डा का अडानी प्लांट। जमीन हमारा, खनिज हमारा, पानी हमारा, सब हमारा और कमर्शियल बिजली बांग्लादेश को। जेएमएम भाजपा से पूछना चाहती है कि कोयला ब्लाक की नीलामी से राज्य में रोजगार बढ़ेगा। केंद्र सरकार कहती है 20 हजार लोगों को रोजगार मिलेगी और जो 60 हजार लोग विस्थापित होंगे इसकी भरपाई कौन करेगा। उन्होंने कहा कोल ब्लॉक की नीलामी जेएमएम किसी भी हालत में नहीं होने देंगी।
3 जुलाई को कोयला मजदूरों की हड़ताल है, उसका कई संगठन समर्थन कर रहे हैं उन्हें जेएमएम भी अपना समर्थन देगी। श्री भट्टाचार्य ने कहां कि कोल ब्लॉक नीलामी मामले पर जेएमएम के हस्तक्षेप से केंद्रीय मंत्री से लेकर प्रदेश के नेताओं में बौखलाहट हो गई है। और सुप्रीम कोर्ट जाने से भाजपा के नेताओं को मिर्ची क्यों लग गई है। क्युकी नीलामी से संबंधित सभी बातें सुप्रीम कोर्ट में आएंगी। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कोल ब्लॉक नीलामी मामले में एक एफिडेविट का हवाला दिया, दीपक प्रकाश जी को मालूम होना चाहिए कि सुप्रीम कोर्ट में केस दर्ज करवाने से पहले एफिडेविट करवानी पड़ती है तभी केस एडमिट होता है।