नई दिल्ली । कोरोना से प्रभावित देशों की सूची में भारत ईरान को पछाड़ कर दसवें नंबर पर आ चुका है। इस बीच बीते एक सप्ताह से लगातार कोरोना के मामले तेजी से बढ़े हैं। बीते आठ दिनों में ही भारत में इनकी संख्या 47918 मामले सामने आ चुके हैं। लगातार बढ़ते मामलों को देखते हुए भारत में आने वाले दिनों में इनकी संख्या और अधिक तेजी से बढ़ने की आशंका पहले ही जताई जा चुके हैं। लेकिन इस बीच एक अच्छी खबर इसकी दवा के क्लीनिकल ट्रायल से जुड़ी हुई सामने आई है। भारत के शीर्ष चिकित्सा निकाय ने कहा है कि कोविड-19 वैक्सीन के लिए कम से कम 6 महीने में मानव परीक्षण शुरू हो सकते हैं।
रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर के निदेशक और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के प्रमुख डॉ. रजनी कांत ने कहा है कि पुणे में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) प्रयोगशाला में वायरस का स्ट्रेन पृथक किया गया है जिसका उपयोग अब इस जानलेवा वायरस की वैक्सीन बनाने में किया जाएगा। इस स्ट्रेन को भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड (बीबीआईएल) में स्थानांतरित भी कर दिया गया है। उन्होंने उम्मीद जताई है कि आने वाले छह माह के अंदर इस वैक्सीन का इंसान पर टेसट संभव हो सकता है।
भारत में बढ़ते मामलों पर आईसीएमआर प्रमुख ने कहा कि इससे चिंतित होने की जरुरत नहीं है। उनके मुताबिक हमें संख्या की बजाय उन कमजोर समूहों की सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिए जो इनकी वजह बन रहे हैं। उन्होंने ये भी कहा कि बुजुर्गों और ऐसे लोगों पर ध्यान देने की जरूरत है जो पहले से ही किसी न किसी बीमारी से ग्रसित हैं। उन लोगों की सुरक्षा की आवश्यकता है। यही हमारी सबसे कमजोर कड़ी है। उन्होंने कहा कि इस समूह में मृत्युदर को कम रखने के लिए पयार्प्त संसाधन लगाने और रणनीतियों को विकसित करने की जरूरी है।
आईसीएमआर प्रमुख कांत ने कहा है कि हमारा फोकस 5-10 फीसद गंभीर मरीजों पर होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम रोजाना एक लाख से अधिक परीक्षण कर रहे हैं और हमारे यहां कोविड मामलों की मृत्युदर पहले से ही दुनिया में सबसे कम है। लिहाजा, वैक्सीन के अभाव में, लोगों को सामाजिक दूरी के दिशा-निदेर्शों का पालन करना चाहिए, जो बहुत कारगर होगा।
आपको यहं पर ये भी बता दें कि भारत में कोरोना के मरीजों का रिकवरी रेट अन्य देशों की तुलना में काफी अच्छा है। खुद कांत भी इस बात को मानते हैं। उनके मुताबिक भारत में कोविड-19 के मरीजों का रिकवरी रेट 41 फीसद है, जो भारत के लिहाज से काफी अहम है। मुंबई, दिल्ली और अहमदाबाद में बड़े पैमाने पर सामने आ रहे मामलों की वजह वे यहां का जनसंख्या घनत्व मानते हैं। उनके मुताबिक यहां की बढ़ती जनसंख्या वायरल संक्रमण फैलने के लिए सही वातावरण साबित हो रही है।
उनके मुताबिक इस तरह के हॉटस्पॉट्स को इससे निजात दिलाने के लिए एक मजबूत क्लस्टर प्रबंधनर पॉलिसी बनानी होंगी। इसके अलावा इन क्षेत्रों में लोगों की आवाजाही पूरी तरह बंद करने की जरूरत है। उन्होंने इस बात पर चिंता जाहिर की है कि बढ़ते मामलों के बीच भी लोग इसको लेकर लापरवाही बरत रहे हैं। लोग आसानी से घूम रहे हैं और सामाजिक दूरियों के मानदंडों का पालन नहीं कर रहे हैं। उनके मुताबिक लॉकडाउन का पहला चरण बहुत प्रभावी था, लेकिन अब चीजें बदल गई हैं।