रांची: झारखंड में कोरोना की सेकेंड वेव ने कहर मचा दिया था. अब मरीजों की संख्या कम होने लगी है. गवर्नमेंट से लेकर प्राइवेट हॉस्पिटल तक में वेड कम पड़ने लगे थे. अस्पताल में जगह नहीं मिलने की वजह से मरीजों की जान भी चली गई. स्थिति गंभीर देखते हुए हेल्थ डिपार्टमेंट ने राज्य के मेडिकल कॉलेज के अलावा सभी डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल और अन्य चिन्हित जगहों पर कोविड केयर सेंटर बनाने का निर्णय लिया. 450 कोविड केयर सेंटर बनकर तैयार हो गए. इस बीच सेकेंड वेव की रफ्तार धीमी पड़ गई. अब ये कोविड सेंटर थर्ड वेव को लेकर रिजर्व कर लिए गए हैं ताकि किसी भी आपात स्थिति से निपटा जा सके. आइइसी के नोडल ऑफिसर सिद्धार्थ त्रिपाठी ने बताया कि आपात स्थिति की तैयारी अच्छी है यदि कोरोना की तीसरी लहर आती है तो हमें मदद मिलेगी.
66 दिन में 3933 की हुई मौत
कोरोना का फर्स्ट वेव झारखंड के लिए देश के अन्य राज्यों की स्थिति की तुलना में थोड़ी राहत रही. मरीज भी कम थे और मौत भी. एक साल में कोरोना से 1113 लोगों की मौत हो गई. इसके बाद 1 अप्रैल 2021 से सेकेंड वेव की लहर आई. लहर इतनी तेज थी कि लोगों को संभलने का मौका ही नहीं मिला और मौत का आंकड़ा तेजी से बढ़ने लगा. सरकार को इसका अंदाजा भी नहीं था कि सेकेंड वेव कहर मचाएगी. इसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ा. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 66 दिनों में ही 3933 लोगों ने कोरोना के कारण अपनी जान गवा दी.
31 मार्च को मिला था पहला केस
झारखंड में कोरोना का पहला केस 31 मार्च 2020 को रांची के हिंदपीढ़ी इलाके में मिला था. इसके बाद से लगातार मरीजों के मिलने का सिलसिला जारी रहा. फर्स्ट वेव के धीमा पड़ते ही लोगों ने राहत की सांस ली. पॉजिटिव मरीज भी कम हो गए और मौत आंकड़ा भी नहीं के बराबर हो गया. हेल्थ डिपार्टमेंट भी रिलैक्स होगया. 1 अप्रैल के बाद कोरोना की सेकंड वेव ने रफ्तार पकड़ी और संभलने का मौका नहीं दीया, लेकिन अब हॉस्पिटल्स में व्यवस्था पहले की तुलना में काफी बदल गई है. जिसका फायदा मरीजों को भविष्य में भी मिलेगा.