रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि राज्य में अभी बहुत सारे प्रवासी मजदूरों की वापसी बाकी है। जबतक सभी प्रवासी मजदूरों के वापस आने की अधिकारिक तौर पर रिपोर्ट नहीं मिलेगी तबतक वापसी की प्रक्रिया जारी रहेगी। उन्होंने दोहराया कि झारखंड से दूसरे राज्यों में मजदूरी के लिए जाने से पहले सरकार की अनुमति लेनी होगी। सरकार सभी प्रवासी श्रमिकों का डाटा रखेगी ताकि शोषण या किसी तरह की दिक्कत आने पर मदद की जा सके। लॉकडाउन के दौरान लौट रहे प्रवासी श्रमिकों और मदद मांगने वालों के अध्ययन से पता चला है कि महिलाएं भी रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में जाती हैं। कई स्थानों पर महिलाओं के खिलाफ प्रताडऩा की जानकारी भी मिली है। ऐसा दोबारा न हो इसके लिए सुरक्षित तरीके से दूसरे राज्यों में भेजने की व्यवस्था की जाएगी। फिलहाल बड़े पैमाने पर प्रवासी मजदूर लौटे हैं। झारखंड के दो लोगों के शवों को लाने के मुद्दे पर सीएम ने कहा कि इसमें भारत सरकार की भूमिका ज्यादा है।
दुर्गम स्थानों पर जाने वालों का डाटा जरूरी
हेमंत सोरेन ने कहा कि सीमावर्ती इलाकों में मजदूरों की बड़ी भूमिका रही है। पहले मजदूर आते-जाते थे तो पता नहीं चलता था। कई दुर्गम स्थान हैं, जहां आम लोगों का जाना संभव नहीं है। ऐसे स्थानों पर श्रमिक विशेष सहयोग के बिना नहीं जा सकते हैैं। लेह और लद्दाख जैसे इलाकों में कई पाबंदिया होती है। यह डिफेंस एरिया है। ऐसे जगहों पर जाने वाले मजदूरों का लेखाजोखा रखना आवश्यक है।
सिर्फ एमएसएमइ नहीं राज्य सरकार को भी नुकसान
हेमंत सोरेन ने कहा कि सरकार लॉकडाउन धीरे-धीरे खोलने की प्रक्रिया में है। इस दौरान बहुत लोगों को नफा-नुकसान हुआ है। लॉकडाउन के दौरान सिर्फ एमएसएमइ सेक्टर ही नहीं, सरकार को भी नुकसान हुआ है। सभी चीजों का आकलन किया जा रहा है। देखा जा रहा है कि किस तरह से राज्य की अर्थव्यवस्था आगे बढ़े। सरकार इस पर चिंतित है। पर्यावरण दिवस पर बड़े-बड़े अग्रणी राज्य हैं, उनको ज्यादा चिंता करने की जरूरत है। हमलोग हमेशा से पर्यावरण के पैरवीकार रहे हैं। प्रकृति से खिलवाड़ करना मानव जीवन लिए घातक है।