धनबाद : काेराेना की दूसरी घातक लहर में ऑक्सीजन की महत्ता काे देखते हुए बीसीसीएल प्रबंधन ने फिर से केंद्रीय अस्पताल में नया प्लांट लगाने का निर्णय लिया है। इस दिशा में प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। ऑक्सीजन प्लांट निर्माता कंपनी से प्रयास किया जा रहा है। उम्मीद है कि अगले एक से दाे महीने में अस्पताल परिसर में नया प्लांट स्थापित कर दिया जाएगा। अस्पताल के सीएमएस डॉ. आरके ठाकुर के मुताबिक प्लांट के निर्माण में 36500000 रुपये की लागत आएगी। इससे दाे यूनिट की स्थापना की जाएगी। प्रत्येक से 13000 लीटर प्रति मिनट के हिसाब से ऑक्सीजन का उत्पादन हाेगा। इससे न सिर्फ केंद्रीय अस्पताल की जरूरतें पूरी हाेंगी बल्कि जरूरत पड़ने पर बीसीसीएल के क्षेत्रीय अस्पतालाें काे भी सिलेंडर के जरिए प्राण वायु की आपूर्ति की जाएगी।
डॉ. ठाकुर ने बताया कि अस्पताल में पहले क्रायाेजेनिक वेस्सेल टैंक लगाने का निर्णय लिया गया था। इसके लिए आइनॉक्स कंपनी ने अपना प्रेजेंटेशन दिया था। उसमें भी काफी लागत आ रही थी और उसे तीन महीने में पूरा किया जाना था। उस टैंक काे समय-समय पर गैस से रिफिल करने की जरूरत पड़ती। इसे देखते हुए प्रबंधन ने निर्णय लिया कि ऐसा प्लांट बनाया जाए जाे स्वयं ऑक्सीजन का उत्पादन कर ले। प्रस्ताव तैयार है और इसी महीने काम शुरू हे जाएगा।
ऑक्सीजन सपाेर्टेड बेड की संख्या भी बढ़ाई जा रही
डॉ. ठाकुर के मुताबिक अस्पताल में पिछले दिनाें ऑक्सीजन सपाेर्टेड बेड की कमी काे देखते हुए १०० बेड अधिक बनाने का निर्णय लिया गया था। १० बेड शनिवार तक बन कर तैयार हाे चुका है। कर्मियाें व तकनीशियनाें की कमी की वजह से काम आगे नहीं बढ़ पाया था। अब कर्मी मिल चुके हैं और रविवार से दिन-रात काम शुरू हो गया है। अगले एक सप्ताह में १०० बेड तैयार कर लिए जाएंगे। इसके बाद अस्पताल काे ऑक्सीजन सपाेर्टेड बेड की कमी नहीं झेलनी हाेगी। ५२५ बेड के अस्पताल में पहले प्रत्येक वार्ड में पांच बेड ऑक्सीजन सपाेर्टेड थे। माैजूदा महामारी काे देखते हुए १० बेड प्रत्येक वार्ड बढ़ाए जाने के बाद यह संख्या १५ बेड प्रति वार्ड हाे जाएंगे। उन्हाेंने कहा कि फिलहाल अस्पताल में १०० डी टाइप जंबाे सिलिंडर की खरीद बीसीसीएल की ओर से की गई है और ५० जंबाे सिलिंडर जिला प्रशासन ने भिजवाया है। ८९ सिलिंडर पहले से हमारे पास थे। इस तरह ऑक्सीजन फिलहाल पर्याप्त हैं और इनकी रिफिलिंग भी सही समय पर हाे रही है। जरूरत है बस बेड की। वह तैयार हाे जाए ताे सारी समस्या का हल हाे जाएगा। प्लांट के बन जाने के बाद ऑक्सीजन आपूर्ति का झंझट भी खत्म हाे जाएगा।