रांची. गरीबी इंसान से जो नहीं करना चाहिए वह भी करा देती है। गरीबी के आगे मजबूर एक मां ने अपने कलेजे पर पत्थर रखकर चार दिन के अपने जुड़वां बेटों को सोमवार को गोद देेनेवाली संस्था को सौंप दिया। बच्चों के पालन-पोषण में उसकी असमर्थता को देखकर रिश्तेदारों ने सीडब्ल्यूसी की पूर्व सदस्य मीरा मिश्रा से संपर्क कर उन्हें पूरे मामले की जानकारी दी। मीरा मिश्रा ने पीड़िता से बात की, तो पीड़िता ने बताया कि वह अपने दोनों नवजातों का पालन-पोषण नहीं कर सकती, क्योंकि उसके पास खुद के खाने का जुगाड़ नहीं है, तो इन्हें कहां से पाल सकेगी। इसके बाद सरकारी प्रक्रिया के तहत मीरा मिश्रा ने दोनों नवजातों को एडॉप्शन एजेंसी को सरेंडर करा दिया। दोनों शिशुओं की मेडिकल जांच करने के बाद करुणा आश्रम में रखा गया है।
पहले से दो बेटियां हैं, उनकी परवरिश भी मुश्किल
पीड़िता की कहानी काफी दुखदायी है। पति एतवा मुंडा की 7 साल पहले मौत हो गई। उसकी दो बेटियां एक 9 साल और दूसरी 7 साल की हैं। इनको बड़ी मुश्किल से पल रही है। पति के जाने का ऐसा छ्टका लगा कि मानसिक स्थिति गड़बड़ा गई। पिछले साल वासना के भूखे किसी भेड़िया ने उसे अपना शिकार बना लिया। परिणाम स्वरूप चार दिन पहले उसने रिम्स में जुड़वा बेटों को जन्म दिया।
60 दिन के अंदर जैविक पिता बच्चों पर कर सकता है दावा
सीडब्ल्यूसी की पूर्व सदस्य मीरा मिश्रा ने बताया कि दोनों नवजातों को गोद देेनेवाली संस्था को सरकारी प्रक्रिया के तहत सरेंडर कराया गया है, अब 60 दिन के अंदर यदि चाहे तो बच्चे के जैविक पिता उन्हें लेने के लिए दावा कर सकता है कि वह उन्हें पालना चाहता है। जिसकी जांच व प्रक्रिया के बाद उसे सौंपा जा सकता है। अगर 60 दिन के अंदर नहीं आता है, तो दोनों बच्चों का पालन-पोषण एजेंसी करेगी।
गरीबी के कारण 28 दिन की बच्ची को दे दिया था दूसरे को
हाल ही में तुपुदाना क्षेत्र में एक मां ने 28 दिन की अपनी बेटी को एक नि:संतान दंपती के हाथ बेच दिया था। मामला संज्ञान में आने पर सीडब्ल्यूसी ने बच्ची को रेस्क्यू कर करुणा आश्रम भेजा था। उस परिवार का भी कहना था कि उनके पहले से बच्चे हैं। गरीबी में एक और बच्ची को वे नहीं पाल सकते। लेकिन, जांच में पता चला कि पैसे लेकर एक दलाल ने नि:संतान दंपती को दिलाया था।