रांची के बिरसा जू में पिछले 4 दिनों से बीमार चल रहे बाघ शिवा की मौत गुरुवार देर रात हो गई। उसका इलाज कर रहे बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के डॉक्टर प्रवीण के मुताबिक ब्लड टेस्ट में उसकी किडनी और लंग्स में इंफेक्शन पाया गया है। डायरेक्टर वाईके दास ने बताया कि किट नहीं रहने के कारण उसका कोविड टेस्ट नहीं हो पाया था।
शुक्रवार को किट आने के बाद उसका स्वाब इंडियन वेटनरी रीसर्च इंस्टीट्यूट (IVRI), बरेली भेजा गया है। ताकि उसके कोविड टेस्ट की पुष्टि हो सके। स्वाब के साथ IVRI ब्लड सैंपल और लंग्स ऑर्गन भी भेजा गया है। ताकि इस बात की जानकारी मिल सके कि उसका लंग्स कितना इंफेक्टेड था। अगर कोविड नहीं था तो उसकी मौत का कारण क्या है। हालांकि ह्यूमन रैपिड एंटिजन किट से जांच में उसकी रिपोर्ट निगेटिव आई है।
डॉक्टर ने कहा- जानवरों में कोविड के स्ट्रेन का अभी पता नहीं
इलाज कर रहे डॉक्टर प्रवीण ने बताया कि शिवा को पिछले चार दिन से 103-4 बुखार रह रहा था। मंगलवार दवा देने के बाद ठीक हो गया था। लेकिन इसके बाद उसने खाना छोड़ दिया था। एनिमल का ये नेचर होता है कि बीमार होने के बाद वो खाना छोड़ देता है। ये लक्षण कोविड में भी होते हैं। लेकिन सबसे बड़ी समस्या ये है कि अभी तक ये पता नहीं चल पाया है कि जानवरों में कोविड का स्ट्रेन कौन सा है। उन्होंने बताया कि अभी तक जानवरों में इसके सिम्पटम की भी स्पष्ट जानकारी नहीं है।
किट नहीं रहने के कारण नहीं हो पाई थी जांच
बिरसा जू के डायरेक्टर वाईके दास ने बताया कि बिरसा जू में अभी तक जानवरों की जांच के लिए आरटीपीसीआर किट नहीं उपलब्ध था। इसके कारण जांच नहीं हो पाई थी। गुरुवार रात को किट आ गया था। शुक्वार को जांच होने वाली थी। लेकिन इससे पहले ही शिवा की मौत हो गई।
4 डॉक्टर की निगरानी में होगा पोस्टमार्टम
शिवा की मौत के कारणों का पता लगाने के लिए 4 डॉक्टरों की टीम बनाई गई है। इन्हीं की निगरानी में उसका पोस्टमार्टम किया जाएगा। इसकी तैयारी बिरसा जू में शुरू कर दी गई है। पोस्टमार्टम के बाद ही उसका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
2014 में बेंगलुरु से रांची आय था शिवा
शिवा का जन्म 2011 को कर्नाटक में हुआ था। 2014 में इसे बेंगलुरु के बन्नेरघाटा बायोलॉजिकल पार्क से रांची लाया गया था। तब से ये रांची के बिरसा जू में रह रहा था। जू के डायरेक्टर वाईके दास ने बताया कि शिवा को एनिमल एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत दूसरे जू में भेज कर वहां से सफेद बाघ लाने की योजना थी, पर उसकी तबीयत खराब हो गई। उन्होंने बताया कि बाघ की औसत उम्र 17-18 वर्ष होती है, लेकिन जू में बेहतर खानपान की वजह से उनकी उम्र 2 साल बढ़ जाती है।