रांची में कोविड-19 की सैंपल जांच में गड़बड़ियां सामने आने लगी हैं। शुक्रवार पहली बार एक नया मामला सामने आया जब एक व्यक्ति ने तीन लैब से जांच कराई, जिसमें दो ने उसे कोविड-19 निगेटिव बताया, जबकि तीसरे ने पॉजिटिव। अब वह परेशान है कि किसकी रिपोर्ट को सच माने। जानकारी के अनुसार, रातू रोड स्थित इंद्रपुरी के रहने वाले 51 वर्षीय एक व्यक्ति ने कोरोना के लक्षण दिखने पर 23 अगस्त को रिम्स में जांच करवाने के लिए सैंपल दिया। रात को उनकी रिपोर्ट निगेटिव आई।
दूसरे दिन उन्होंने डॉ. एस शरण टेस्टिंग सेंटर किशोरगंज में जांच कराई। वहां उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई। दोनों रिपोर्ट को लेकर कंफ्यूज व्यक्ति ने तीसरे जांच सेंटर में एक बार फिर से जांच करवाने का निर्णय लिया। 25 अगस्त को उन्होंने पैथ काइंड लैब में जांच कराई, जहां उनकी रिपोर्ट निगेटिव अाई। अब उनके घरवाले परेशान हैं कि किस लैब की रिपोर्ट सही है। किस पर वे विश्वास करें। 72 घंटे में एक ही व्यक्ति की रिपोर्ट अलग-अलग कैसे हो सकती है। जबकि, तीनों जांच आरटीपीसीआर से हुई थी।
लापरवाही की कहानी बताते 2 केस… दोषी कौन?
- हरमू के 40 वर्षीय व्यक्ति ने 10 अगस्त को जांच के लिए सैंपल दिया था। उसकी रिपोर्ट 16 अगस्त को निगेटिव और अगले दिन पाॅजिटिव आई। ऐसे में वह परेशान है कि वह कोरोना पाॅजिटिव है या निगेटिव।
- हरमू के एक व्यक्ति ने 10 अगस्त को जांच के लिए सैंपल दिया था, जिसकी रिपोर्ट 18 दिन बाद भी नहीं आई। रिपोर्ट के लिए सदर हॉस्पिटल डॉट कॉम पर एसआरएफ आईडी डालने पर डाटा नॉट फाउंड बता रहा।
एक ही व्यक्ति की अलग-अलग रिपोर्ट आना चिंता की बात है। इसमें सैंपल कलेक्शन या सैंपल जांच में गड़बड़ी हुई है। इसकी जांच की जाएगी।
– डॉ विजय प्रसाद बिहारी, सिविल सर्जन
सीटी वैल्यू पर निर्भर करती है जांच रिपोर्ट
डॉ. एस शरण टेस्टिंग सेंटर के एक पैथोलॉजिस्ट ने बताया कि कोविड की जांच की रिपोर्ट सीटी वैल्यू पर निर्भर करती है। उस व्यक्ति का सीटी वैल्यू 17 आया था, जो पाॅजिटिव बता रहा था। इस आधार पर हमलोगों ने उसकी रिपोर्ट पाॅजिटिव बताया।
मिसमैच सैंपलिंग के कारण रिपोर्ट गलत : डॉ मनोज
रिम्स के माइक्रोबायोलॉजी लैब के एचओडी डॉ. मनोज कुमार कहते हैं सैंपल का कलेक्शन बेहतर तरीके से हो तो आरटीपीसीआर जांच के तहत रिपोर्ट गलत नहीं आ सकती। इसके बावजूद भी रिपोर्ट गलत आती है, इसका मतलब ये मिसमैच सैंपलिंग के कारण हुआ है।