रांची: केंद्र और राज्य सरकार की ओर से यह भले ही हर घर, नल से जल की सुविधा उपलब्ध करा देने का दावा किया जा रहा है, परंतु यह भी सच्चाई है आजादी के करीब 75 वर्ष बाद सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को शुद्ध पेयजल की सुविधा उपलब्ध नहीं है।
राजधानी से करीब 40 किमी दूर स्कूल की स्थिति बदतत्तर
झारखंड की राजधानी रांची से करीब 40 किलोमीटर दूर सोनाहातू प्रखंड के पोआदिरी गांव स्थित राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय के बच्चे आज भी डोभा का पानी पीने को विवश है। जब राजधानी रांची के निकट स्थित सरकारी स्कूल का यह हाल है, तो राज्य के सुदूरवर्ती स्कूलों की स्थिति का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है।
खाना खाने के बाद डोभा पानी पीने और फिर उसी पानी से बर्त्तन धोते है बच्चे
प्राप्त जानकारी के अनुसार राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय पोआदिरी में लगा चापानल एक महीने से खराब है, जिस कारण मध्याह्न भोजन के बाद स्कूल के बच्चे बगल में स्थित डोभा का पानी पीते हैं और उसी डोभा के पानी से खाना खाने के बाद अपने बर्त्तन को भी धोते हैं।
चापानल में लगा मोटर भी खराब हुआ
इस स्कूल में कक्षा एक से आठवीं तक के 107 नामांकित है। प्रधानाध्यापक मनोज साहू ने बताया कि स्कूल का चापानल पिछले एक महीने से खराब पड़ा है। इसकी जानकारी शिक्षा एवं पेयजल विभाग को लिखित रूप में दे दी गयी है। एक बार मिस्त्री ने बनाने का भी प्रयास किया, लेकिन नहीं बन पाया। चापानल में लगा मोटर भी खराब है।
अधिकारियों का टाल मटोल रवैया
वहीं इस संबंध में प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी विजयलक्ष्मी ने बताया कि उन्हें कोई जानकारी नहीं है। जबकि पेयजल स्वच्छता विभाग की ओर से बताया कि उन्हें स्कूल से अब तक कोई शिकायत नहीं मिली है। इस तरह से शिक्षा और पेयजल स्वच्छता विभाग के अधिकारियों के टालमटोल रवैये के कारण स्कूली बच्चों को परेशानियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
स्कूल से कुछ दूरी अवस्थित डोभा बना सहारा
उत्क्रमित मध्य विद्यालय में पढ़ने वाले अधिकांश बच्चे गरीब और मध्यमवर्गीय परिवार से आते हैं। इनमें से कई बच्चों के माता-पिता सुबह में मजदूरी करने के लिए शहर चले जाते है और इन बच्चों के लिए स्कूल का मध्याह्न भोजन ही बड़ा सहारा होता है। ऐसे में बच्चे अपने घर से बर्त्तन लेकर आते है और स्कूल में उन्हें दाल-भात या खिचड़ी अथवा अंडा-फल जो मिलता है, उसे खाकर दिन का पेट भरते हैं। लेकिन इस दौरान शुद्ध पेयजल नहीं मिलने के कारण वे पानी पीने के लिए और बर्त्तन धोने के लिए डोभा के निकट चले जाते हैं। वायरल वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि स्कूल से कुछ ही दूरी पर अवस्थित डोभा में बच्चे अपने बर्त्तन को धो रहे है और फिर वापस स्कूल लौट रहे हैं।
बारिश के मौसम में बीमारियों का खतरा
स्कूल का मध्याह्न भोजन बच्चों के लिए भले जी एक बड़ा सहारा हो, लेकिन बारिश के मौसम में दूषित पेयजल से उनकी तबीयत भी खराब हो सकती है। डॉक्टरों का भी कहना है कि इस मौसम में अधिकांश बीमारियां दूषित पानी के कारण ही होती है,ऐसे में बच्चों के स्वास्थ्य के साथ भी बड़ा खिलवाड़ हो रहा है।