रांची: झारखंड से बड़ी खबर है। राज्य के 68 हजार पारा शिक्षक स्थायी होंगे। शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय कमेटी की हुई बैठक में इस बारे में सहमति बन गई है। इसके अप्रूवल के लिए जल्द ही प्रस्ताव कैबिनेट को भेजा जाएगा। स्थायी होने के लिए टेट पाास पारा शिक्षकों को कोई परीक्षा नहीं देनी होगी। वहीं, अन्य पारा शिक्षकों को लेकर महाधिवक्ता से राय ली जाएगी कि उन्हें किस आधार पर स्थायी किया जा सकेगा।
राज्य में समग्र शिक्षा अभियान के तहत कार्यरत लगभग 61 हजार पारा शिक्षकों के स्थायी होने का रास्ता साफ हो गया है। मंगलवार को शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय कमेटी की देर शाम तक चली बैठक में सभी प्रशिक्षित पारा शिक्षकों को निर्धारित प्रक्रिया के तहत स्थायी करने पर सहमति बनी। इसे लेकर सारी प्रक्रियाएं पूरी करने के बाद प्रस्ताव कैबिनेट को भेजा जाएगा।
उच्च स्तरीय कमेटी की बैठक में प्रशिक्षित एवं शिक्षक पात्रता परीक्षा (टेट) उत्तीर्ण सभी पारा शिक्षकों को सीधे स्थायी करने पर सहमति बनी। इन्हें सीमित परीक्षा नहीं देनी होगी। साथ ही, इन्हें बिहार की तर्ज पर 5200-20,200 का वेतनमान भी मिलेगा। ऐसे लगभग 13 हजार पारा शिक्षक हैं जिन्हें यह लाभ मिलेगा। बैठक में इसपर भी चर्चा हुई कि जो प्रशिक्षित पारा शिक्षक टेट पास नहीं हैं, उन्हें किस आधार पर स्थायी किया जा सकेगा।
पारा शिक्षकों के दिन फिरे
- स्थायी होंगे 61 हजार पारा शिक्षक, मिलेगा वेतनमान
- टेट पास 11 हजार पारा शिक्षक होंगे सीधे स्थायी, अन्य को देनी होगी सीमित परीक्षा
- सीमित परीक्षा को लेकर महाधिवक्ता से भी ली जाएगी राय
- शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता में कमेटी की हुई बैठक में बनी सहमति
- सीमित परीक्षा के लिए दस वर्ष की सेवा होगा अनिवार्य
- प्रशिक्षण के बजाए नियुक्ति तिथि से होगी गणना
- स्थायी होने पर मिलेगा 5200-20200 का वेतनमान
निर्णय लिया गया कि इसपर महाधिवक्ता से राय ली जाए कि इन्हें स्थायी करने के लिए टेट पास करना अनिवार्य होगा या फिर सीमित परीक्षा लेकर इन्हें स्थायी किया जा सकेगा। सीमित परीक्षा की प्रक्रिया के संबंध में भी कई निर्णय लिए गए। प्रस्तावित नियमावली में सीमित परीक्षा में शामिल होने के लिए प्रशिक्षण के बाद 10 वर्ष की सेवा अनिवार्य किया गया था।
बैठक में एकीकृत पारा शिक्षक संयुक्त मोर्चा के प्रतिनिधियों ने नियुक्ति तिथि से दस वर्ष की सेवा अनिवार्य करने की मांग की जिसे मान लिया गया। इसी तरह, पारा शिक्षकों ने सीमित परीक्षा में कट ऑफ मार्क्स 60 फीसद से घटाकर 30 फीसद करने की मांग की जिसपर शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों ने कहा कि इसपर आंतरिक बैठक कर निर्णय लिया जाएगा। अधिकारियों ने इसे कम करने का आश्वासन भी दिया।