हजारीबाग में एक्ट्रेस ईशा आलिया का अंतिम संस्कार किया गया। रिया, बबीता और ईशा आलिया तीन नाम से एक पहचान रखने वाली अभिनेत्री की कहानी का दर्दनाक अंत हुआ। ईशा आलिया झालीवुड में खूब नाम कमा रहीं थीं।
भोजपुरी, नागपुरी, खोरठा सहित कई एल्बम में काम करने वाली ईशा ने कई फिल्में भी की। इस इंडस्ट्री में सितारा बनकर चमकने वाली ईशा के साथ ऐसा क्या हुआ कि गांव वालों ने उसके अंतिम संस्कार के लिए जमीन देने से इनकार कर दिया।
जहां पैदा हुईं उसी गांव ने अंतिम वक्त में नहीं अपनाया
जिस गांव में वो पली बढ़ी उसी गांव ने अंतिम वक्त में उसका साथ छोड़ दिया।तीन नाम के साथ एक अभिनेत्री के सफर की कहानी जो परिवार, समाज, सफलता का रास्ता तय करते हुए धोखे और मौत तक पहुंच गयी।
पीछे छोड़ गई ढाई साल की मासूम बच्ची जिसे शायद ये भी ठीक से नहीं पता कि उसकी मां अब कभी लौट कर नहीं आयेगी। एक आरोपी पति जिस पर हत्या का आरोप है। पुलिस ने उसे कोर्ट में पेश कर 12 दिनों की पुलिस रिमांड पर लिया है।
अभिनय और व्यापार
ना जाने कितने एल्बम और फिल्म शानदार एक्टिंग करियर। अभिनय के साथ- साथ ईशा व्यापार की समझ भी रखती थीं। काम के साथ- साथ एक सलून भी खोल रखा था। बाहर से सब कुछ ठीक दिखने दिखने वाली ईशा के अंदर बहुत कुछ चल रहा था। अंदर इतना अंधेरा कि तीनों नामों के पीछे की कई कहानियां ईशा के साथ सफर कर रही थी। किसी ने नहीं सोचा था कि कोलकाता के इस अधूरे सफर की मंजिल मौत होगी।
जहां गुजरा बचपन
ईशा का बचपन चौपारण प्रखंड के बहेरा पंचायत के ग्राम महुदी में बीता। थोड़ी ब़ड़ी हुई, तो पढ़ाई के लिए हजारीबाग चली गयी। छोटे सी जगह से हजारीबाग का सफर उसके लिए नया था और बहुत हद तक परिवार की सीमाओं को तोड़कर आजाद महसूस करने जैसे इस अनुभव ने उसे नया रास्ता दिखा दिया, इसी रास्ते पर बबीता की मुलाकात प्रकाश रविदास ऊर्फ प्रकाश अलबेला से हुई।
रविदास से अलबेला का सफर प्रकाश ने भी तय किया था, फिल्म इंडस्ट्री के कुछ कदम रखने के बाद उसने अपने नाम के साथ अलबेला जोड़ लिया। फिल्म इंडस्ट्री से पुराना रिश्ता इस नये रिश्ते में प्रकाश की मदद कर रहा था। उस वक्त घर की बबीता भी अब सपने देखने लगी थी जब वह इस इंडस्ट्री में एक सितारे के रूप में चमकेगी।
बबीता के लिए तरक्की के रास्ते की रोशनी था पति प्रकाश
प्रकाश के साथ ने उसकी जिंदगी में एक नयी रोशनी की तरह काम किया, जो फिल्मी दुनिया के चकाचौंध भरे रास्ते पर उसे सफलता के प्रकाश की तरफ ले रहा था। इस क्षेत्र में कुछ कर दिखाने का जुनून बबीता की आंखों में दिखने लगा था और यहीं से एक नये रिश्ते की शुरूआत हुई। बबीता ने प्रकाश से शादी कर ली।
समाज ने नहीं किया स्वीकार
इस शादी का समाज के लोगों ने विरोध किया, सामाजिक मान्यता नही दी। घर की बबीता अब उनके लिए रिया बन गयी लेकिन रिया ने फिर अपना नाम बदला और ईशा आलिया हो गयी। परिवार को नजरअंदाज कर हजारीबाग से रांची पहुंच गयी। पति के साथ यही रहना शुरू कर दिया था। ईशा आलिया के चाचा महेन्द्र राणा बताते हैं कि बबीता के पिता और उनके भाई धनोखी राणा को लकवा मार गया। चलना-फिरना कम हो गया था। बबीता अपने घर लौटी लेकिन समाज ने उसे स्वीकार नहीं किया।
बबीता से ईशा आलिया के सफर ने उसे चुप रहना और सहना सिखा दिया था
घर की बबीता जो फिल्म इंडस्ट्री में बड़ा नाम कमाने लगी थी और अब अपनी नयी पहचान स्थापित कर रही थी। जिस रिश्ते के भरोसे उसने अपना सब कुछ छोड़ा था वह कई बार टूटने के कगार पर पहुंचा गया। इस रिश्ते में भी कई परत थे जो धीरे- धीरे वक्त के साथ खुल रहे थे। जिस रिश्ते के भरोसे वो सब कुछ छोड़कर आयी थी, प्रकाश अलबेला पहले से शादी शुदा था। दो बच्चों का पिता था।
दोनों के बीच इसे लेकर कई बार झगड़ा हुआ, घरवालों को ईशा बताती भी तो क्या लेकिन धीरे- धीरे घरवाले महसूस करने लगे थे कि इनके बीच सब ठीक नहीं है। ईशा इसके बावजूद भी प्रकाश के साथ रहना चाहती थी। तमाम विवाद, झगड़ों के बाद भी दोनों साथ थे। दोनों ने समाज से लड़कर प्रेम विवाह किया था और अंत गोली की आवाज में हुआ। पति हिरासत में हैं जहां उससे पूछताछ की जा रही है।
हमें नहीं पता था कि ईशा की कहानी का इस तरह अंत होगा
ईशा आलिया के चाचा महेंद्र राणा कहते हैं गांव में उसका अंतिम संस्कार इसलिए भी नहीं हो सकता क्योंकि सामाजिक स्तर से भले ही विवाह नहीं हुआ पर विवाहिता को अपने मायके में अंतिम संस्कार हिन्दू धर्म में नही किया जाता है।
इसलिए महूदी में अंतिम संस्कार करने की इजाजत समाज के लोग नहीं देंगे। रिया की बहन संगीता का कहना है कि रिया 2012 में प्रकाश के झांसे में आ गई थी हमें जरा भी अंदाजा नहीं था कि वो उसकी जान ले लेगा। रिया का अंतिम संस्कार मुक्तिधाम हजारीबाग में होगा।