झारखंड के विभिन्न जेलों में आजीवन कारावास की सजा काट रहे 56 कैदी रिहा किये जाएंगे. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में हुई राज्य सजा पुनरीक्षण पर्षद की 30वीं बैठक में यह फैसला लिया गया. बैठक में 109 कैदियों की रिहाई के बिंदू पर समीक्षा के बाद यह सहमति बनी. समीक्षा के दौरान अदालतों, संबंधित जिलों के एसपी, जेल अधीक्षक और जिला प्रोबेशन पदाधिकारियों के विचार पर विस्तार से चर्चा की गई.
कैदियों के पुनर्वास की व्यवस्था हो
बैठक में मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा कि जो कैदी जेल से रिहा किए जाते हैं उनकी लगातार ट्रैकिंग और मॉनिटरिंग होनी चाहिए. इसके अलावा उनके पुनर्वास की दिशा में भी पहल की जाये. ताकि वे मुख्य धारा में बनें रहें. कहा कि अक्सर देखा गया है की जेल से जो बुजुर्ग कैदी रिहा रहा किए जाते हैं, उन्हें उनका परिवार अपनाने के लिए आगे नहीं आता है. ऐसे में इनको सरकार के यूनिवर्सल पेंशन स्कीम से जोड़ा जाए, ताकि उन्हें इस तरह के हालात में इधर-उधर भटकना नहीं पड़े. कैदियों को सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का भी लाभ देने का निर्देश दिया.
1831 कैदी हो चुके हैं रिहा
झारखंड राज्य सजा पुनरीक्षण पर्षद की 29वीं बैठक तक 1831 कैदियों की रिहाई हो चुकी है. अधिकारियों ने बताया कि 2019 से लेकर अब तक 457 कैदियों के घर का जिला प्रोबेशन पदाधिकारियों द्वारा सर्वे कराया जा चुका है. इनमें से 378 कैदियों को सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ दिया गया है, जबकि अन्य कैदियों को सरकार की योजनाओं से जोड़ने की प्रक्रिया चल रही है.
बैठक में गृह कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग के अपर मुख्य सचिव अविनाश कुमार, डीजीपी अजय कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव विनय कुमार चौबे, विधि विभाग के प्रधान सचिव नलिन कुमार, पुलिस महानिरीक्षक मनोज कौशिक, जेल महानिरीक्षक उमाशंकर सिंह समेत कई अधिकारी मौजूद थे.