अब 12 साल के बच्चों को भी वैक्सीन लगेगी. ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीजीसीआई) ने इसकी मंजूरी दे दी है. न्यूज एजेंसी एएनआई ने सोमवार को खबर दी है कि उसने 12 से 18 साल तक के बच्चों को कोविड19 से प्रतिरक्षा देने वाले वैक्सीन कोबेवैक्स देने की मंजूरी प्रदान कर दी है.
आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी
कोबेवैक्स वैक्सीन का निर्माण हैदराबाद की कंपनी बायोलॉजिकल ई लिमिटेड ने किया है. डीजीसीए ने 12 से 18 साल की उम्र के बच्चों पर इसके आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है. इस वैक्सीन का निर्माण भारत में हुआ है. स्वदेश में विकसित यह पहला रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन (RBD) प्रोटीन सब-यूनिट वैक्सीन है. गहन जांच-पड़ताल के बाद सरकार ने इस वैक्सीन के इस्तेमाल की मंजूरी दी है.
कोरोना के डेल्टा वैरिएंट पर ज्यादा असरदार है कोबेवैक्स
सूत्रों की मानें, तो सरकार ने बायोलॉजिकल ई को 5 करोड़ कोबेवैक्स की खुराक की सप्लाई के ऑर्डर दे दिये थे. प्रत्येक खुराक की दर 145 रुपये तय की गयी थी. NTAGI के प्रमुख ने बताया है कि ओमिक्रॉन की तुलना में कोरोना के डेल्टा वैरिएंट पर कोबेवैक्स ज्यादा प्रभावी साबित हुआ है. अगस्त 2021 में सरकार ने 30 करोड़ कोबैवैक्स की खुराक के ऑर्डर दिये थे.
भारत में विकसित तीसरा वैक्सीन Corbevax
कोबेवैक्स भारत में विकसित तीसरा वैक्सीन है, जिसके इस्तेमाल की सरकार ने मंजूरी दी है. बता दें कि अभी भारत में 15 साल से अधिक उम्र के लोगों को ही कोरोना से प्रतिरक्षा देने वाला टीका लगाया जा रहा है. देश में 15 से 17 साल की उम्र के 7.6 करोड़ से अधिक किशोरों को वैक्सीन लग चुका है. नये वैक्सीन को मंजूरी मिलने के बाद वैक्सीनेशन में और तेजी आने की उम्मीद है. किशोरों को अभी सिर्फ कोवैक्सीन (Covaxin) की डोज लगायी जा रही है.
कोबेवैक्स को प्रोटीन सबयूनिट भी कहते हैं
NTAGI के चेयरमैन डॉ एनके अरोड़ा ने बताया था कि अन्य वैक्सीन की तुलना में यह ज्यादा एंटीबॉडी बनाता है. कोबेवैक्स अन्य वैक्सीन की तुलना में ज्यादा सुरक्षित भी है. एक इंटरव्यू में डॉ अरोड़ा ने कहा था कि प्रोटीन जसबयूनिट वैक्सीन को सुरक्षित वैक्सीन माना जाता है. इससे प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है.