दुमका: श्रावणी मेला का 5 वां दिन,पहली सोमवारी को बासुकीनाथ धाम में हर हर महादेव के नारे और केसरिया रंग में बाबा के भक्तों के अलावा न कुछ सुनाई दे रहा था, न ही दिखाई दे रहा था।पहली सोमवरी को जलार्पण करने हेतु श्रद्धालु रात 2 बजे से ही कतारबद्ध होने लगे थे।शिवगंगा में श्रद्धालुओं की तादाद काफी अधिक थी।सभी श्रद्धालु स्नान कर आस्था के लोटे में पवित्र गंगाजल जल लिए कतारबद्ध होकर मंदिर पट खुलने की प्रतीक्षा कर रहे थे।भक्तों की प्रतीक्षा रात्रि लगभग 3:00 बजे खत्म हुई और श्रद्धालु अर्घा के माध्यम से जलार्पण करने लगे।पहली सोमवरी को उपायुक्त देर रात से ही मंदिर प्रांगण,मेला क्षेत्र तथा सीसीटीवी के माध्यम से हर गतिविधि पर नजर बनाए हुए थे।इस दौरान उन्होंने सभी महत्वपूर्ण स्थलों का निरीक्षण कर प्रतिनियुक्त दंडाधिकारियों तथा सुरक्षा बल के जवानों को आवश्यक निदेश दिये।उपायुक्त द्वारा प्रतिनियुक्त सभी दंडाधिकारियों को निदेश दिया गया कि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की कोई कठिनाई नहीं हो इसे सुनिश्चित करें।सभी अपने कर्तव्यस्थल पर उपस्थित रहे।किसी भी स्थान पर श्रद्धालुओं को एकत्र नहीं होने दें ताकि कोई भी विपरीत परिस्थिति उत्पन्न नहीं हो।मेला क्षेत्र में प्रतिनियुक्त दंडाधिकारी तथा सुरक्षा बल के जवान भी देर रात से ही अपने कर्तव्यस्थल पर उपस्थित रहकर श्रद्धालुओं की सेवा करते दिखे।सुरक्षा बल के जवान श्रद्धालुओं को कतारबद्ध कर रहे थे तथा वे सुगमतापूर्वक जलार्पण बाबा पर कर लें इसे सुनिश्चित कर रहे थे।साथ ही कतार में घुसपैठ नहीं हो इसे सुनिश्चित कर रहे थे।
श्रावणी मेला के दौरान सिंह द्वार को श्रद्धालुओं का निकास द्वार बनाया जाता है।जिला प्रशासन के वरीय अधिकारी सिंह द्वार पर उपस्थित रहकर हर गतिविधि पर नजर बनाए हुए थे।स्वास्थ्य विभाग की टीम भी अपने कर्तव्यस्थल पर उपस्थित रहकर श्रद्धालुओं की सेवा में जुटी थी।सभी श्रद्धालुओं को जरूरी दवाइयां भी दी जा रही थी।सूचना सहायता कर्मी भी देर रात से ही ध्वनि विस्तारक यंत्र के माध्यम से बिछड़ों को मिलाने कर कार्य कर रहे थे।