झारखंड उच्च न्यायालय में गुरुवार को विधायक बाबूलाल मरांडी की याचिका पर सुनवाई हुई। अदालत ने मामले में सुनवाई के बाद अब विधानसभा का पक्ष सुनने के लिए 28 सितंबर की तारीख मुकर्रर की है।
हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेश शंकर की कोर्ट में सुनवाई के दौरान विधायक बाबूलाल मरांडी की ओर से वरीय अधिवक्ता विजय प्रताप सिंह, अभय मिश्रा, विनोद साहू, रणेंद्र आनंद ने अदालत के समक्ष पक्ष रखा। वहीं विधानसभा अध्यक्ष की ओर से वरीय अधिवक्ता संजय हेगड़े ने पक्ष रखा।
अदालत में पिछली सुनवाई के दौरान वरीय अधिवक्ता संजय हेगड़े ने बाबूलाल की याचिका की मेंटिबिलिटी पर सवाल उठाते हुए याचिका को सुनवाई योग्य नहीं बताया था, जिसपर बाबूलाल के अधिवक्ता ने विधानसभा में हो रही सुनवाई की मेंटिबिलिटी पर सवाल उठाया था। इसके साथ ही प्रार्थी के अधिवक्ता ने यह भी दलील दी कि यह 10वीं अनुसूची का मामला नहीं बनता है। बाबूलाल के अधिवक्ता की ओर से आईए दाखिल करने के लिए समय देने का आग्रह किया गया, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया था।
उल्लेखनीय है कि बाबूलाल की ओर से दाखिल रिट याचिका में कहा गया है कि दलबदल मामले में झारखंड विधानसभा के स्पीकर कोर्ट में नियमानुसार सुनवाई नहीं हुई है। न्यायाधिकरण ने उनकी गवाही और बहस सुने बिना ही केस को जजमेंट पर रख दिया है। बाबूलाल मरांडी से जुड़े दल बदल के मामले में विधानसभा के न्याधिकरण में 30 अगस्त को सुनवाई पूरी हो गई है। बाबूलाल मरांडी की ओर से पक्ष रखने वाले अधिवक्ताओं का कहना है कि स्पीकर पक्षपात पूर्ण रवैया अपना रहे हैं। न्यायाधिकरण में सुनवाई समाप्त होने के बाद स्पीकर कभी भी अपना फैसला सुना सकते हैं। यह भी ज्ञातव्य हो कि झारखंड विधानसभा चुनाव 2019 में बाबूलाल मरांडी ने झाविमो के टिकट पर चुनाव जीता था।बाद में उन्होंने पार्टी का विलय भाजपा में कर दिया। इस मामले में स्पीकर दल-बदल कानून के तहत सुनवाई कर रहे हैं।