दुमका: बाल कल्याण समिति ने शनिवार को दुमका के शनि मंदिर के सामने भीख मां गरे तीन बच्चों का रेस्क्यू करवाया है। चाइल्डलाइन दुमका के टीम मेंबर निशा कुमारी, शांतिलता हेम्ब्रम और निक्कू कुमार ने 11, 09 और 07 वर्ष के दो बालिका और एक बालक को रेस्क्यू कर तीनों को समिति के समक्ष प्रस्तुत किया। इस दौरान इन बच्चों को भीख देनेवाले लोगों को समझाया गया कि वह किसी भी बच्चे को भीख न दें। बच्चे के हाथ में भीख का कटोरा नहीं बल्कि किताब, कलम और पेन होना चाहिये।
यदि 18 साल से कम उम्र का कोई भी बालक या बालिका भीख मांगते नजर आये तो इसके बारे में बाल कल्याण समिति, चाइल्डलाइन, डीसीपीयू या पुलिस को सूचना दी जा सकती है या कोई भी व्यक्ति ऐसे बच्चे को सीडब्ल्यूसी के समक्ष प्रस्तुत कर सकता है। समिति ऐसे बच्चे का सही ढंग से पालन-पोषण और शिक्षा-दीक्षा सुनिश्चित करेगी। समिति के सदस्य रंजन कुमार सिन्हा, डा राज कुमार उपाध्याय और कुमारी बिजय लक्ष्मी ने तीनों बच्चों और उसकी मां का बयान दर्ज करते हुए इस मामले की सुनवायी की।
मसलिया प्रखण्ड क्षेत्र में रहनेवाली बच्चों की मां ने बताया कि वह तीनों बच्चों को लेकर दो दिन पूर्व सदर अस्पताल आयी थी। वह दुमका के डंगालपाड़ा में बहन और मामा के घर में रही थी। उसकी बेटी बीमार है जिसे उसने डाक्टर को दिखाया। वह दुमका के शनि मंदिर के सामने अपनी दोनों बेटी और बेटे के साथ भीख मांग रही थी कि इसी दौरान चाइल्डलाइन की टीम वहां आयी और उन्हें अपने साथ ले गयी। उसने कहा कि वह बच्चों को शनि मंदिर में खिचड़ी खिलाने आयी थी ताकि उन्हें दवा खिला सके। महिला ने बताया कि उसकी शादी लगभग 16 साल पूर्व हुई है। उसे तीन बेटी और एक बेटा है। सबसे बड़ी बेटी 15 वर्ष की है जो चाचा के साथ रहती है। दो बेटी और एक बेटा उसके साथ रहते हैं और गांव के स्कूल में पढ़ते हैं। पति उसके साथ नहीं रहता हैं और न ही बच्चों के लालन-पालन के लिए कोई खर्च देता है। वह गांव में ईट उठाने, मिट्टी काटने का और रोड में काम करती है। गांव में काम नहीं मिलने पर कई बार भीख भी मांगना पड़ता है।
भविष्य में बच्चों से भीख नहीं मंगवाने की शर्त पर तीनों बच्चों को उसकी मां के साथ घर भेज दिया गया है। समिति ने चाइल्डलाइन के समन्वयक को निर्देश दिया है कि तीनों बच्चों का सामाजिक आर्थिक जांच करते हुए 75000 रुपये से कम का वार्षिक पारिवारिक आय होने का प्रमण पत्र प्रस्तुत करें ताकि तीनों बच्चों को स्पान्सरशिप स्कीम से जोड़ा जा सके।