नक्सली प्रमोद मिश्रा उर्फ लव कुश को पुलिस ने गया से गिरफ्तार किया है। पुलिस ने प्रमोद के साथी अनिल यादव को भी पकड़ा है। दोनों गया के टिकारी प्रखंड के पड़री के जरही टोला अपने रिश्तेदार के यहां आए थे। पुलिस को इसकी सूचना मिली तो छापेमारी में दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया।
सूत्रों की मानें तो पुलिस प्रमोद मिश्रा और अनिल यादव से पुलिस पूछताछ कर रही है। प्रमोद मिश्रा औरंगाबाद का रहने वाला है। वह भाकपा माओवादी के पोलित ब्यूरो सदस्य भी है। 14 नवंबर 2021 को डुमरिया के मोनबार जंगल से सटे इलाके में रहने वाले सरयू सिंह भोक्ता के घर हमला किया था। सरयू सिंह भोक्ता के दोनों बेटे सतेंद्र और महेंद्र और उनकी पत्नी मनोरमा देवी और सुनीता की हत्या कर दी था। इसके बाद चारों शव को फंदे पर लटका दिया। फिर बम से घर भी उड़ा दिया। वारदात के बाद नक्सलियों ने घर के बाहर एक पर्चा भी चिपकाया था। इसमें बदला लेने के लिए इस परिवार के सदस्यों की हत्या की बात कही गई थी। इस हत्या में कुख्यात नक्सली प्रमोद मिश्रा और उसके साथी आरोपी हैं।
एक करोड़ के इनाम का प्रस्ताव
प्रमोद मिश्रा देशभर के सुरक्षा एजेंसियों के लिए सिरदर्द बन गया था। वह माओवादी संगठन के लिए एक बड़ा नाम है। वर्षों तक वह जेल में रहा। जेल से छूटने के बाद अचानक गायब हो गया था। वह 2004 से पोलित ब्यूरो का सदस्य है। देश के विभिन्न राज्यों की जिम्मेदारी इसके कंधे पर थी। झारखंड सरकार ने 1 करोड़ रुपए का इनाम रखने का प्रस्ताव सुरक्षा एजेंसियों को दिया था। घटनास्थल से जाते वक्त नक्सलियों ने घर के बाहर एक पर्चा चिपका दिया। इसमें लिखा है, “इंसानियत के हत्यारे, गद्दारों और विश्वासघातियों को सजा-ए-मौत देने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है। ये हमारे चार साथियों अमरेश, सीता, शिवपूजन और उदय की हत्या का बदला है। षड्यंत्र के तहत 4 नक्सली को पूर्व में जहरखुरानी करके मरवाया गया था। वे एनकाउंटर में नहीं मारे गए थे। विश्वासघात के आरोप में 4 लोगों को सूली पर चढ़ा दिया। गद्दारों व विश्वासघातियों को ऐसी ही सजा दी जाएगी।
नक्सली समूह माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर ऑफ इंडिया में प्रमोद मिश्रा को पार्टी के अंदर सोहन दा, शुक्ला जी, कन्हैया, जगन भरत, नूर बाबा, बीवी जी, अग्नि, और बाण बिहार के नाम से जाना जाता है। इसे दिल्ली संचालन का भी प्रभारी बनाया गया था। प्रमोद मिश्रा हरियाणा, पंजाब और जम्मू कश्मीर सहित अन्य राज्यों में आंदोलन को सक्रिय करने में काफी मदद की थी।
2008 में गिरफ्तारी हुई थी, लेकिन प्रमोद मिश्रा को 2017 में सबूत के अभाव में रिहा कर दिया गया था। तब से वह अचानक से फरार हो गया था। देश के दक्षिणी राज्यों में सक्रिय हो गया था। इसके घर और रिश्तेदारों के घरों पर लगातार सुरक्षा एजेंसियों की छापेमारी होते रही है।