Jharkhand News: झारखंड में झामुमो के नेतृत्व में सत्तारूढ़ गठबंधन को विपक्षी को चित करने का नया फार्मूला मिल गया है। क्योंकि इसी फॉर्मूले पर डुमरी उपचुनाव में झामुमो प्रत्याशी बेबी देवी को जिताने में सीएम हेमंत सफल हुए हैं। अब आप सोच रहे होंगे आखिर यह कौन-सा फॉर्मूला है जिसने झामुमो प्रत्याशी को जीत दिलाई थी। इस फॉर्मूले का नाम है ABM फॉर्मूला। जैसा कि आप बिहार और उत्तर प्रदेश में सुनते आ रहे होंगे कि वहां MY फैक्टर काम करता है। M यानी मुसलमान और Y यानी यादव। ये तो खैर वहां का फॉर्मूला है, ऐसा फॉर्मूला यहां नहीं सेट हो सकता। लेकिन डुमरी में जो फॉर्मूला देखने को मिला है, वह झारखंड में एक नये समीकरण को जन्म जरूर दे गया है। हालांकि इसमें कुछ राजनीतिक और सामाजिक अड़चने आयेंगी, लेकिन राजनीति में पहले सत्ता पर कब्जा किया जाता है, बाकी चीजें फिर सुधारनी पड़ती हैं।
डुमरी उपचुनाव में झामुमो को कैसे मिली जीत?
झारखंड की डुमरी सीट पर हुआ उपचुनाव में I.N.D.I.A. गठबंधन एकजुट होकर लड़ा था। लेकिन यह लड़ाई फिर भी अधूरी थी, यह बात I.N.D.I.A. गठबंधन भी अच्छी तरह पहले भी समझती थी और परिणाम आने के बाद यह बात और स्पष्ट भी हो गयी होगी। एकजुट होने के बाद भी I.N.D.I.A. गठबंधन मुस्लिम वोटों को लेकर शंका बनी हुई थी। अगर यह वोट 2019 में विधानसभा चुनाव की तरह पड़ गये होते तो झामुमो प्रत्याशी का खेल खत्म हो गया होता। पिछली बार AIMIM का प्रत्याशी 24,000 से ज्यादा वोट लाने में सफल रहा, लेकिन वही प्रत्याशी इस बार करीब 3,500 हजार वोट ही ला पाया। जाहिर है, AIMIM यानी मुस्लिम समर्थकों के 24 हजार से ज्यादा वोट इस बार भी पड़े होंगे। ये वोट NDA के पाले में तो नहीं गये होंगे, इतना तो तय है। पिछली बार झामुमो प्रत्याशी को 71,128 वोट मिले थे। इतना या इससे ज्यादा इस बार भी मिले होंगे। AIMIM प्रत्याशी अब्दुल मोबिन रिजवी को 24,132 वोट मिले थे, लेकिन रिजवी को इस बार 3,471 वोट ही मिले। तो बाकी वोट कहां गये? यानी 20 हजार से ज्यादा वोट झामुमो प्रत्याशी के ही खाते में इस बार गये। झामुमो प्रत्याशी कितने वोटों से जीता था- 17,156 वोटों से। अब आपको अनुमान लग गया होगा कि झामुमो की इस जीत में कौन-सा फैक्टर काम कर गया। AIMIM प्रमुख डिमरी जरूर आये थी, रिजवी के पक्ष में प्रचार भी किया, लेकिन वोट नहीं दिलवा पाये।
खैर, अब पिछली बार के वोटों को ही आप जोड़कर देख लीजिये। इसमें जदयू के पिछली बार पड़े 5000 वोट भी जोड़ सकते हैं। 71000 + 20000 + 5000 = 96000। पिछली बार के हिसाब से झामुमो को 96000 से अधिक वोट मिलते। इस बार पड़े वोट की संख्या ज्यादा थी, इसलिए यह आंकड़ा 100000 के पार पहुंच गया। यानी कुल मिलाकर वोट पिछले बार के समीकरण के हिसाब से ही पड़े। या तो सत्ता पक्ष की रणनीति के कारण या फिर मुसलमानों ने सोच-समझ कर यह मतदान किया है।
डुमरी चुनाव से राज्य सरकार के हाथ लगा ABM फॉर्मूला
मतदान चाहे जैसे हुआ हो, लेकिन राज्य सरकार को एक नया फॉर्मूला तो जरूर दे गया है। यह फॉर्मूला है ABM. A यानी आदिवासी, B यानी बैकवर्ड और M यानी मुसलमान। अगर सत्ता पक्ष इस फॉर्मूले पर चलती है तो NDA को इसकी काट निकालने में पसीने छूट जायेंगे। लेकिन इस फॉर्मूले में एक दिक्कत भी है। उसका हल तो झामुमो के नेतृत्व में बनी सरकार को निकालना होगा। इस फॉर्मूले से जीत के बाद सिर्फ आदिवासियों की राजनीति राज्य सरकार के लिए करना मुश्किल हो सकता है। मध्यमार्ग निकालने से आदिवासी बहुल राज्य में परेशानियां खड़ी हो सकती हैं। यह खैर, यह तो राजनीति है, उन्हें क्या हासिल करना है यह तो राजनीति करने वाले ही तय करेंगे।
इसे भी पढें: PLFI उग्रवादी दसाय पूर्ति गिरफ्तार, नक्सलियों के खिलाफ खूंटी पुलिस की बड़ी कामयाबी