भारतीय राजनीतिक के पुरोधा माने जाने वाले भाजपा के बड़े नेता लालकृष्ण आडवाणी को भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया जायेगा। कहने तो वह भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेता हैं, लेकिन भारतीय राजनीति में उनका योगदान सर्वोपरि कहा जा सकता है। लालकृष्ण ऐसे नेता हैं, जिनमें प्रधानमंत्री बनने के गुण थे। मगर अटल बिहारी वाजपेयी के कारण वह इस पद तक नहीं पहुंच सके। बता दें, 2008 में राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन (राजग) ने लोकसभा चुनावों को आडवाणी के नेतृत्व में लड़ने तथा जीत होने पर उन्हें प्रधानमन्त्री बनाने की घोषणा की थी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। लालकृष्ण आडवाणी भारतीय जनता पार्टी के न सिर्फ कर्णधार रहे हैं, बल्कि भाजपा स्थापना में भी उनका बड़ा योगदान रहा है। भाजपा ने देश में जब पहली बार सरकार बनायी थी, उसमें उनका योगदान सर्वोच्च था। आज जब उन्हें देश का सर्वोच्च सम्मान मिला है तो यह कहा जा सकता है कि वह इस सम्मान के सही हकदार हैं। लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न दिये जाने के बाद पीएम नरेन्द्र मोदी ने उन्हें बधाई दी है।
आठ नवंबर, 1927 को पाकिस्तान (तब भारत) के कराची में लालकृष्ण आडवाणी का जन्म हुआ था। विभाजन के बाद उनका परिवार भारत आ गया। भारतीय राजनीति में लालकृष्ण आडवाणी का कद कितना बड़ा है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि गांधी के बाद वह दूसरे जननायक हैं जिन्होंने हिन्दू आन्दोलन का नेतृत्व किया।
वर्ष 1951 में डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जनसंघ की स्थापना की। तब से लेकर सन 1957 तक आडवाणी पार्टी के सचिव रहे। वर्ष 1973 से 1977 तक आडवाणी ने भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष का दायित्व सम्भाला। वर्ष 1980 में भारतीय जनता पार्टी की स्थापना के बाद से 1986 तक लालकृष्ण आडवाणी पार्टी के महासचिव रहे। इसके बाद 1986 से 1991 तक पार्टी के अध्यक्ष पद का उत्तरदायित्व भी उन्होंने सम्भाला। लालकृष्ण आडवाणी तीन बार भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष पद पर रह चुके हैं। आडवाणी चार बार राज्यसभा के और पांच बार लोकसभा के सदस्य रहे। वर्ष 1977 से 1979 तक पहली बार केन्द्रीय सरकार में कैबिनेट मन्त्री की हैसियत से लालकृष्ण आडवाणी ने दायित्व सम्भाला।
आज अयोध्या मंदिर का सपना साकार हो गया है। तो ऐसे में भला लालकृष्ण आडवाणी के योगदान को कैसे भुलाया जा सकता है। 1990 में राम मन्दिर आन्दोलन के लिए उन्होंने सोमनाथ से अयोध्या के लिए राम रथ यात्रा निकाली थी। हालांकि आडवाणी को बीच में ही गिरफ़्तार कर लिया गया, पर इस यात्रा ने आडवाणी का राजनीतिक कद और बड़ा कर दिया।