टेंडर घोटाले तथा कैश कांड में फंसे झारखंड के ग्रामीण विकास तथा संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम की ईडी की छह दिनों की रिमांड आज से शुरू हो गयी है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) अब छह दिनों तक टेंडर घोटाले और कैश कांड में सवालों की बौछार करेगा। छह दिनों तक ईडी के अधिकारी पूछताछ में मामले के और रहस्यों पर से पर्दा उठाना का प्रयास करेंगे। बता दें कि पीएमएलए कोर्ट ने जांच एजेंसी से पूछताछ के लिए छह दिनों की इजाजत दी है।
बता दें कि गुरुवार को मंत्री आलमगीर आलम को ईडी और सीआरपीएफ जवानों की सुरक्षा में जोनल ऑफिस से रांची के विशेष न्यायालय में पूर्वाह्न 11 बजे लाया गया, जहां उनकी पेशी हुई। इसके बाद ईडी ने कोर्ट से मंत्री को दस दिनों की रिमांड पर भेजने का अनुरोध किया। पूछताछ के दौरान ईडी ने दावा किया कि आप्त सचिव संजीव लाल ने पूछताछ के क्रम में यह स्वीकार किया है कि मंत्री आलमगीर आलम ने वर्ष 2022 में बतौर कमीशन तीन करोड़ रुपये एक टेंडर मैनेज करने के एवज में लिया था। ईडी ने कोर्ट को यह भी बताया कि वह जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद विशेष न्यायालय ने मंत्री आलमगीर आलम को 6 दिनों के रिमांड पर भेजने का आदेश सुनाया।
टेंडरों का कमीशन मंत्री तक पहुंचने का दावा
ईडी ने अपनी जांच में पाया है कि ग्रामीण विकास विभाग के कमोबेश सभी बड़े टेंडरों में मंत्री आलमगीर आलम के पास 1.25 प्रतिशत राशि कमीशन के तौर पर पहुंचती थी। इसके लिए एक बड़ा नेटवर्क तैयार किया गया था। टेंडर मैनेज करने का काम उनके निजी आप्त सचिव संजीव लाल किया करते थे। तत्कालीन मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम इसके बाद फाइल पर मुहर लगाते थे। कमीशन का पैसा संजीव लाल के घरेलू सहायक जहांगीर आलम के यहां रखा जाता था। मालूम हो कि ईडी ने बीते छह मई को घरेलू सहायक जहांगीर आलम के अरगोड़ा थाना क्षेत्र स्थित सैय्यद रेसीडेंसी स्थित आवास पर छापेमारी की थी, जहां से 33.70 करोड़ रुपये बरामद किये गये थे। संजीव लाल को लेकर ईडी की टीम प्रोजेक्ट बिल्डिंग स्थित उनके दफ्तर पहुंची थी और तलाशी ली गयी थी। वहां से करीब 12 लाख रुपये बरामद किये गये थे। कुछ पुराने नोट भी तब वहां से बरामद किये गये थे, जिनका प्रचलन 2016 के बाद से बंद है। ईडी ने उस दिन करीब छह ठिकानों पर छापेमारी कर 37 करोड़ रुपये बरामद किये थे।