रांचीः रांची लोकसभा सीट से आज कौन बाजी मारेगा, यह अब शीशे की तरफ साफ हो गया है। बाजी कांग्रेस के हाथ में अब जाती हुई नहीं दिखाई पड़ रही है और एक बार फिर से बीजेपी रांची सीट के लिए अपना कब्जा बरकरार रखने में कामयाब हो गयी है। भारतीय जनता पार्टी ने इस बार सिटिंग सांसद संजय सेठ को फिर से उम्मीदवार बनाया था, वहीं कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय सुबोधकांत सहाय की बेटी यशस्विनी सहाय को इस रण में उतारा था। पिछले दो चुनावों यानी 2019 और 2014 में बाजी बीजेपी ने जीती थी। वर्ष 2014 में बीजेपी के रामटहल चौधरी ने जीत हासिल की थी, वहीं 2019 में संजय सेठ ने कांग्रेस के सुबोधकांत सहाय को हराया था। इस बार वोटिंग प्रतिशत जरूर 2019 के मुकाबले कम रहा, लेकिन दोनों पार्टियों का जोश पूरा हाई है।
रांची में संजय सेठ 83459 मतों से आगेरांची लोकसभा सीट से बीजेपी के संजय सेठ 83459 मतों के अंतर से आगे चल रहे हैं। कांग्रेस की यशस्विनी सहाय से उन्हें कड़ी टक्कर मिल रही है।
रांची लोकसभा सीट चुनाव परिणाम- कौन जीता कौन हारा
पार्टी | प्रत्याशी | कुल वोट | जीत/हार |
बीजेपी | संजय सेठ | (कुल वोट दर्ज करें) | (जीत/हार दर्ज करें) |
कांग्रेस | यशस्विनी सहाय | (कुल वोट दर्ज करें) | (जीत/हार दर्ज करें) |
रांची लोकसभा सीट से कितने वोटर्स?
रांची लोकसभा सीट में करीब 22 लाख से ज्यादा वोटर्स थे। कुल 21,97,331 मतदाताओं में पुरुष मतदाताओं की संख्या 11,12524, महिला मतदाता 10,84,738 और थर्ड जेंडर 69 मतदाता शामिल है। राजनीतिक दलों से मिली जानकारी इन 22 लाख मतदाताओं में सबसे अधिक आदिवासियों की संख्या लगभग 6 लाख, मुस्लिम आबादी की संख्या 3.5 लाख, ईसाई मतदाताओं की संख्या 2.5लाख और कायस्थ मतदाताओं की संख्या 1.20 लाख है। इसके अलावा कुर्मी, ओबीसी और अनुसूचित जनजाति मतदाताओं की संख्या भी काफी अच्छी है। वर्ष 2024 के चुनाव में रांची संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में 65.36 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है। यहां पुरुष मतदाता 65.53 और महिला मतदाताओं ने 65.20 फीसदी मतदान किया है। इस तरह महिलाओं से पुरुष मतदाताओं ने 0.33 फीसदी अधिक मतदान किया है।
रांची लोकसभा सीट से जुड़ी जानकारी
रांची लोकसभा सीट अनारक्षित सीट है। आजादी के बाद 1951 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के अब्दुल इब्राहिम निर्वाचित हुए थे। रांची से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में 1957 में निर्दलीय उम्मीदवार मीनू मसानी चुनाव जीतकर गए थे। इसी तरह से 1977 में भारतीय लोकदल से रवींद्र वर्मा चुनाव जीते। वो दोबारा लौटकर नहीं आए। सुबोधकांत सहाय रांची से पहली बार 1989 में चुनाव जीते थे। उस समय वह कांग्रेस से नहीं, जनता दल टिकट पर जीते थे। मीनू मसानी और रवींद्र वर्मा रांची के रहने वाले नहीं थे। दोनों बाहर से बाहर चुनाव जीतकर गए। 1962 में कांग्रेस के पीके घोष पहली बार जीते। फिर 1967 और 1971 का चुनाव भी कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में पीके घोष विजयी रहें। 1977 में इंदिरा हराओ का चारों ओर नारा चल रहा था। रवींद्र वर्मा कहां से और कौन थे, रांची के लोग जानते भी नहीं थे, लेकिन वो आए और चुनाव जीते और चले गए। फिर दोबारा रांची नहीं लौटे। इसके बाद लोहरदगा के रहने वाले शिव प्रसाद साहु ने 1980 और 1984 में कांग्रेस टिकट पर जीतकर दिल्ली पहुंचे। लेकिन 1989 में जनता दल के उम्मीदवार सुबोधकांत से चुनाव हार गए। 1991 के बाद रांची में बीजेपी का दबदबा कायम हो गया। बीजेपी के रामटहल चौधरी ने 1991, 1996, 1998 और 1999 में जीते। लेकिन 2004 और 2009 में वो सुबोधकांत के हाथों हार गए। फिर 2014 में रामटहल चौधरी विजयी रहे। लेकिन 2019 में उनका टिकट काट कर बीजेपी ने संजय सेठ को उम्मीदवार बनाया और संजय सेठ जीत कर दिल्ली पहुंचे।
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