रांची । बिहार व बंगाल में बड़े पैमाने पर बसों से झारखंड आने के लिए टिकट की बुकिंग शुरू हो गई है जिस पर झारखंड सरकार ने आपत्ति दर्ज कराई है। सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि झारखंड में बसों के संचालन की अनुमति नहीं मिलेगी। झारखंड में अंतरराज्यीय परिवहन की अनुमति अभी नहीं दी गई है। यहां तक कि प्राइवेट वाहनों को भी झारखंड आने के लिए ई-पास आवश्यक होगा। दूसरी ओर, पहले से ही झारखंड के वाहनों को एक जिले से दूसरे जिले में जाने के लिए भी ई-पास की आवश्यकता होगी।
बिहार में इंटर स्टेट बसों के परिचालन की अनुमति के साथ ही झारखंड आने के लिए सैकड़ों की संख्या में बसों की बुकिंग शुरू हो गई। बंगाल और बिहार से बसें पहुंच भी गईं। बुधवार को रांची में ऐसी पांच बसों को जब्त भी किया गया है। परिवहन सचिव के. रवि कुमार ने बिहार सरकार के परिवहन सचिव को पत्र लिखकर बताया कि झारखंड में बिहार की बसें नहीं चल पाएंगी। उन्हें बता दिया गया है कि बसों को झारखंड नहीं आने दिया जाएगा। अगर किसी बस को झारखंड आना है तो उसे पास बनवाना होगा। नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई का निर्देश दिया गया है।
सिर्फ टैक्सियों को छूट
दूसरी ओर, परिवहन विभाग के संयुक्त सचिव रविशंकर विद्यार्थी ने बताया कि राज्य में अंतर जिला परिवहन की अनुमति भी नहीं मिली है। ऐसे में प्राइवेट वाहनों को एक जिले से दूसरे जिले में जाने के लिए अनुमति जरूरी होगी। ई-पास के साथ ही लोग जिलों की सीमा पार कर सकेंगे। सभी जिला परिवहन पदाधिकारियों को कहा गया है कि वे ऐसे वाहनों की जांच करेंगे जो बिना अनुमति के एक जिले से दूसरे जिले में जा रहे हैं। अनलॉक-1 के शुरू होते ही कुछ इलाकों से सूचना आ रही थी कि वाहनों के परिवहन को पूरी तरह छूट मिल गई है। ऐसा सिर्फ टैक्सियों के साथ है जिसपर बाहर से पहुंचनेवाले यात्री अपने घर तक जा सकते हैं।
परिवहन विभाग की टीम ने की छापेमारी
परिवहन विभाग की विशेष टीम ने रांची के खादगढ़ा में छापेमारी कर दूसरे राज्यों की पांच बसों को जब्त किया है। पांच बसों के पास न तो ई-पास था और न ही वाहन के कागजात पूरे थे। एक वाहन के पास ई-पास था, लेकिन वह भी वन-वे का था। जबकि अन्य बसों के कागजात में टैक्स और परमिट नहीं थे। इनमें दो बसें बिहार के हैं और तीन पश्चिम बंगाल की हैं। एमवीआइ मो. शाहनवाज और जिला परिवहन पदाधिकारी संजीव ने कहा कि प्रतिबंध के बावजूद ये बसें दूसरे राज्य से झारखंड में प्रवेश कर गईं। बसों के पास न जरूरी दस्तावेज थे और न ही परमिट।