नई दिल्ली : विश्व साइकिल दिवस के मौके पर बुधवार को खबर आई कि देश की 69 साल पुरानी साइकिल कंपनी एटलस ने आर्थिक तंगी के कारण फैक्टरी में काम रोक दिया है. इससे कंपनी में काम करने वाले 750 कर्मचारियों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. पिछले कई सालों से कंपनी आर्थिक संकट से जूझ रही है.
हालांकि एक समय ऐसा भी था जब कंपनी ने सालाना 40 लाख साइकिल बनाने का रिकॉर्ड अपने नाम किया था. अब ले-ऑफ नोटिस में कंपनी के प्रबंधक ने कहा कि संचालकों के पास फैक्टरी चलाने के लिए रकम नहीं है. कच्चा माल खरीदने तक के पैसे नहीं हैं. इसलिए कर्मचारियों को तीन जून से ले-ऑफ करने के लिए कहा गया है. ऐसे में आज हम आपको बताते हैं कपंनी की शुरुआत कैसे हुई और कैसे इसने अपनी पहचान बनाई.
1. जानकी दास कपूर ने इस कंपनी की स्थापना की थी. 1951 में पहले ही साल कंपनी ने 12 हजार साइकिल बनाने का रिकॉर्ड बनाया था.
2. 1965 तक यह देश की सबसे बड़ी साइकिल निर्माता कंपनी बन गई.
3. 1978 में भारत में पहली रेसिंग साइकिल पेश करके कंपनी ने दुनिया में शीर्ष साइकिल उत्पादक कंपनियों में से एक होने का गौरव हासिल किया था.
4. कंपनी को ब्रिटिश स्टैंडर्ड इंस्टीट्यूशन से आइएसओ 9001-2015 सर्टिफिकेशन के साथ मान्यता मिली.
5. कंपनी ने सभी आयु समूहों के लिए साइकिल की एक विस्तृत श्रृंखला पेश की.
ये है एटलस की साइकिल यात्रा (कंपनी की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार)
* 1951 में स्थापना के बाद पहले साल में ही 12 हजार साइकिल बनाई.
* 1958 में पहली खेप निर्यात की गई.
* 1965 में सबसे बड़ी साइकिल निर्माता कंपनी बनी. निर्यात का भी रिकॉर्ड बनाया.
* 1978 में पहली रेसिंग साइकिल के साथ सभी उम्र के लोगों की श्रृंखला पेश की.
* कंपनी को इटली का गोल्ड मर्करी इंटरनेशनल अवॉर्ड मिला है.
* 2003 में एटलस ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज का पुनर्गठन हुआ, जिसके अध्यक्ष जयदेव कपूर बने.
* 2005 में विदेशों में कई कंपनियों के साथ रणनीतिक गठजोड़ किया.
क्या होता है ले-ऑफ?
कंपनी के पास जब उत्पादन के लिए पैसे नहीं होते हैं, तो उस परिस्थिति में कंपनी कर्मचारियों की छंटनी न करके और किसी प्रकार का अतिरिक्त काम न कराकर सिर्फ उनकी हाजिरी लगवाती है. कंपनी का कर्मचारी रोजाना गेट पर आकर अपनी हाजिरी नोट कराएगा और उसी हाजिरी के आधार पर कर्मचारी को आधे वेतन का भुगतान किया जाएगा.