पूर्व मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन एक बार फिर दिल्ली दौरे पर हैं। चम्पाई सोरेन एक बार फिर कोलकाता के रास्ते दिल्ली निकले हैं। एक हफ्ता पहले जब चम्पाई सोरेन दिल्ली दौरे पर थे, तब उनके भाजपा में शामिल होने की अटकलें लगायी जा रही थीं। लेकिन उस समय ऐसा कुछ नहीं हुआ। दिल्ली से वापस आने के बाद उनके ही द्वारा दिये गये तीन विकल्पों में से एक ‘नयी पार्टी बनाने’ की चर्चा भी जोरों पर कुछ दिन रही। लेकिन उनका एक बार फिर से दिल्ली दौरा राजनीतिक हलकों में संशय पैदा कर रहा है कि वाकई में चम्पाई सोरेन करने क्या जा रहे हैं। कहीं वह भाजपा में शामिल होने के इरादे से दिल्ली तो नहीं गये हैं? यह अटकल कुछ ज्यादा ही पक्की लग रही है, क्योंकि इस बार उनके साथ 20 लोग भी गये हैं। हालांकि झामुमो से निष्कासित लोबिन हेम्ब्रम अभी झारखंड में अपने आवास पर ही है। जबकि इनके भी भाजपा में शामिल होने की बात कही जा रही है।
बता दें कि चम्पाई सोरेन ने अपने लिए तीन विकल्प रखे थे। पहला राजनीति से संन्यास, दूसरा, नयी पार्टी बनाकर विधानसभा चुनाव लड़ना और तीसरा, बीजेपी में शामिल होना। चम्पाई सोरेन जिस प्रकार से राजनीतिक रूप से सक्रिय हैं, इसलिए उनके राजनीति से संन्यास लेने का विकल्प तो खुद ही खारिज हो जाता है। लेकिन अब भी दो विकल्प बचे हुए हैं, लेकिन चम्पाई सोरेन जब तक खुद इसका ऐलान नहीं करते यह समझना मुश्किल है कि उनकी अगली राजनीतिक चाल कौन-सी होगी। मगर हैरत करने वाली बात यह है कि अब तक न तो उन्होंने पार्टी छोड़ी है और न ही मंत्रिपद का त्याग किया है।
बता दें कि अपने दिल्ली दौरे के दौरान चम्पाई सोरेन ने उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटाये जाने को लेकर अपनी पीड़ा व्यक्त की थी। उन्होंने दावा किया था कि उन्हें अपमानजनक तरीके से पद से हटाया गया। वह अपने सम्मान की लड़ाई के बहाने पूरे कोल्हान की राजनीति में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहते हैं। यही कारण है कि अगला कदम उठाने के पहले चम्पाई सोरेन ने विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों का दौरा भी किया।
चम्पाई सोरेन की बगावत भाजपा को कोल्हान में देगी मजबूती?
2019 के विधानसभा चुनाव में एक भी सीट हासिल नहीं कर पायी भाजपा के लिए शायद चम्पाई सोरेन की बगावत एक राजनीतिक अवसर हो सकता है। ऐसा इसलिए कि अगर चम्पाई सोरेन नयी पार्टी बनाकर चुनाव लड़ते हैं तो इसका सीधा नुकसान झामुमो को होना तय है। फिर चम्पाई सोरेन नयी पार्टी के रूप में कुछ सीटें जीत भी जाते हैं, एनडीए इसे अपने लिए अवसर के रूप में देख सकता है। और अगर चम्पाई सोरेन भाजपा में शामिल हो जाते हैं तो भाजपा यह उम्मीद कर सकती है कि चम्पाई के समर्थकों से कोल्हान में उसकी जीत सुनिश्चित हो सकती है।