रांची: झारखंड सरकार के हस्तक्षेप के बाद दुमका और संताल के 11815 आदिवासी मजदूरों को भारत-चीन सीमा पर बिना बिचौलियों के सीधे बीआरओ (बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन ) वाजिब मजदूरी पर पूरे अधिकार के साथ काम देगा। लॉकडाउन के कारण लेह-लद्दाख से एयरलिफ्ट कर वापस आये मजदूरों की आपबीती सीएम ने सुनी थी। इसके बाद सरकार और बीआरओ के बीच लंबा विमर्श हुआ। मुख्यमंत्री ने वैधानिक शर्तों और श्रमिकों को सभी लाभ देने की शर्त पर लिखित सहमति मिलने के बाद मजदूरों ले जाने की अनुमति बीआरओ को दी है। अब श्रमिकों को तय दर से 20 प्रतिशत अधिक मजदूरी सीधे उनके बैंक खाते में मिलेगी। बीआरओ और उपायुक्त के बीच पंजीकरण की प्रक्रिया के बाद श्रमिक जाएंगे। बिचौलियों की भूमिका खत्म की गई है। चिकित्सा सुविधा, यात्रा भत्ता, कार्य स्थल पर सुरक्षा, आवास लाभ भी मिलेगा।
संताल परगना से हजारों आदिवासी श्रमिक 1970 से लेह-लद्दाख के दूरगम स्थान, कठिनतम चोटियों और दर्रों पर विशेषकर सड़क और सुरंग बनाने जाते हैं। बीआरओ अपने स्थानीय नेटवर्क की मदद से इन्हें साल में दो बार ले जाता है। श्रमिक एक बार अप्रैल-मई में जाते हैं, इन्हें सितंबर तक लौटना होता है। दूसरी बार अक्तूबर-नवंबर के दौरान मजदूर जाते हैं और फरवरी में लौटने लगते हैं। लेकिन इस बार लॉकडाउन के कारण श्रमिक फंस गए। श्रमिकों ने सीएमओ और कॉल सेंटर से संपर्क कर वापसी की गुहार लगाई।
तब सीएम सोरेन ने टीम बनाई और 29 मई को 60 श्रमिक एयरलिफ्ट कर रांची लाये गए। सीएम ने खुद श्रमिकों का हाल लिया तो उन्हें पता चला कि दशकों से न्यूनतम मजदूरी तक नहीं देकर श्रमिकों का शोषण हो रहा है। बिचौलिये बड़ी वजह हैं। मामला रक्षा मंत्रालय पहुंचा और मुख्यमंत्री ने मजदूरों के शोषण की जानकारी दी। इसके बाद मुख्यमंत्री ने एक विशेष टीम गठित कर बीआरओ के साथ तमाम मुद्दों पर वार्ता कराई। कई दिनों के मंथन के बाद दोनों पक्ष के बीच इंटर स्टेट लेबर एक्ट 1979 और वर्क्समैन कंपनसेशन एक्ट 1923 के तहत मजदूरों को निर्धारित मजदूरी, स्वास्थ्य सुविधायें, दुर्घटना लाभ, यात्रा भत्ता, आवास लाभ आदि लाभ देने पर लिखित सहमति बन गई है।
मजदूरों को मिलेंगे ये लाभ :
मुख्यमंत्री कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार बीआरओ श्रमिकों को अकुशल, अर्ध कुशल और कुशल श्रेणी के आधार पर 10 जून से 20 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी पर 18 हजार से 26 हजार रुपये मजदूरी देने पर सहमत हुआ है। राशन के लिए तीन हजार रुपये भी मिलेंगे। मजदूरों को बीआरओ सीधे जिला उपायुक्त के माध्यम से पंजीकरण करने के बाद विशेष श्रमिक ट्रेन से ले जाएगा। बिचौलियों की भूमिका नहीं होगी।
एक तिहाई मजदूरी बिचौलिये रख लेते थे :
श्रमिकों ने कहा कि वहां पर उन्हें समय पर मजदूरी का भुगतान नहीं किया जाता है। बीआरओ द्वारा तय राशि से कम राशि का भुगतान ठेकेदार और बिचौलिए करते हैं। उनका एटीएम कार्ड ठेकेदार रख लेते हैं और झारखंड लौटने समय बिचौलिये उनकी मेहनत की कमाई का एक तिहाई निकालकर एटीम कार्ड सौंप देते थे। कई मजदूरों ने बताया कि उनकी चार महीने की मजदूरी बिचौलियों ने रख ली है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है और साथ ही हम सीमा क्षेत्रों में राष्ट्र की सेवा करते हुए अपने श्रमिकों के अधिकारों को सुनिश्चित करने को समान प्राथमिकता देते हैं। राज्य सरकार केंद्रीय रक्षा मंत्रालय को सहयोग देने के लिए सदैव तैयार है।