ED raid in jharkhand: झारखंड विधानसभा चुनाव की गहमा-गहमी के बीच जितनी चर्चा राजनीतिक पार्टियों की टिकट सूची की है, उतनी ही चर्चा इन दिनों ईडी की छापेमारी की है. जिसको लेकर आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला भी जारी है. बीते कुछ सालों में देखा गया है कि तकरीबन हर चुनाव से पहले ईडी सक्रिय हो जाती है. अब तो यह आम धारणा बन गयी है कि जिस राज्य में ईडी की सक्रियता बढ़ जाए तो यह माना जाता है कि वहां चुनाव होने वाले हैं.झारखण्ड में पिछले कुछ सालों से ED की ताबड़तोड़ कार्रवाई को लेकर भी कई विवाद भी खड़े हो गए हैं. राज्य में सत्ताधारी दल बीजेपी पर ईडी, सीबीआई जैसी जांच एजेंसियों का इस्तेमाल केंद्र सरकार के इशारों पर कराने का आरोप लगाती रही है, वहीं राज्य में प्रमुख विपक्षी दल बीजेपी भ्रष्टाचार पर कार्रवाई को भ्रष्टाचारियों की तकलीफ बताती रही है.
ईडी के निदेशक प्रमुख कांडों की करेंगे समीक्षा
राज्य में मनी मनी लॉन्ड्रिंग के आधा दर्जन से अधिक कांडों की जांच ईडी कर रही है. इसी मामले में ईडी के निदेशक राहुल नवीन शनिवार को रांची पहुंचे, जहां वह राज्य में चल रहे सभी प्रमुख कांडों की समीक्षा करेंगे . उनका आगमन ऐसे समय में हुआ है जब राज्य में विधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है. इस दौरान वह अनुसंधान में चूक पर भी गौर करेंगे जिसका लाभ आरोपित उठा रहे हैं. (ED raid in jharkhand)
चुनाव को लेकर छापेमारी!
विधानसभा चुनाव के मद्देनजर नकदी के खेल की संभावना बढ़ गई है. जिसको लेकर हाल के दिनों में झारखंड में फिर एक बार प्रवर्तन निदेशालय की टीम द्वारा राजधानी समेत झारखंड के कई जगहों पर छापेमारी की गयी. जिससे ED की कार्रवाई पर राजनीति भी तेज हो गयी है. पिछले दिनों ईडी ने आईएएस अधिकारी मनीष रंजन, झारखंड सरकार में मंत्री मिथिलेश ठाकुर के भाई विनय ठाकुर समेत कई विभागीय इंजीनियर्स के ठिकानों पर भी छापेमारी की . जिस पर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का भी बयान इसको लेकर सामने आ गया .जिसमें उन्होंने कहा कि सामने में चुनाव हैं, हमारे मुख्य विपक्षी पार्टी की बौखलाहट है जो ED की छापेमारी कार्रवाई जा रही है.(ED raid in jharkhand)
बढ़ जाती है धनबल के दुरूपयोग की संभावना!
दरअसल, कानूनन उम्मीदवार के चुनावी खर्च की सीमा तो है, लेकिन राजनीतिक पार्टियाँ खर्चे पर कोई पाबंदी नहीं रखती है. हर उम्मीदवार विधानसभा चुनाव में 40 लाख रुपये तक खर्च कर सकता है. इस तय खर्च राशि में राजनीतिक दल और उनके प्रत्याशियों के लिए चुनाव लड़ना मुमकिन नहीं हो पाता. राजनीतिक पार्टियों के लिए एक-एक सीट और एक-एक वोट की कीमत होती है और यही वोट अपने पाले में लाने की जद्दोजहद में वो पानी की तरह पैसा बहाती हैं. जिससे इनके द्वारा धनबल के दुरूपयोग की संभावना बढ़ जाती है. (ED raid in jharkhand)
मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर ED की बढ़ी है दबिश!
केन्द्रीय जांच एजेंसी ईडी की विगत वर्षों में मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर बढ़ी दबिश ने झारखंड के ब्यूरोक्रेट्स के अंदर खलबली मचा रखी थी. 11 मई 2022 को आईएएस पूजा सिंघल की गिरफ्तारी के बाद से झारखंड में लगातार ईडी की कार्रवाई तेज होती चली गई. वीरेंद्र राम की गिरफ्तारी और उसके बाद कई आईएएस ईडी के रडार पर आते चले गए. खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और मंत्री आलमगीर आलम को ईडी कार्रवाई की वजह से जेल जाना पड़ा. इसी बीच झारखंड हाईकोर्ट ने मनरेगा घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोपी आईएएस पूजा सिंघल की ओर से दायर जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए मामले में ईडी को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.(ED raid in jharkhand)
एजेंसियों के दुरूपयोग का आरोप नया नहीं है
बीजेपी सरकार को केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग के लिए विपक्ष के हमलों का सामना करना पड़ रहा है, बीते कुछ सालों से बार-बार ये बात राज्य में सत्ताधारी दल दोहरा रहा है कि केंद्रीय एजेंसियों को मोदी सरकार विपक्ष को ‘काबू’ में करने के लिए इस्तेमाल कर रही है, और सीबीआई को पिंजरे का बंद तोता बताया जा रहा है. हालाँकि जब देश में यूपीए की सरकार थी तो सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में टिप्पणी की थी कि ‘सीबीआई सरकार का तोता है.’ केंद्र में बैठी सरकार अपने मातहत काम करने वाली एजेंसियों का इस्तेमाल राजनीतिक विरोधियों के ख़िलाफ़ कर रही है, यह आरोप नया नहीं है