Ranchi: झारखंड पुलिस के सिर्फ 28 प्रतिशत पुलिस पदाधिकारी और कर्मी ही नक्सलियों से लड़ने के लिए प्रशिक्षित हैं. 72 प्रतिशत पुलिस पदाधिकारियों और कर्मियों ऐसे हैं, जिन्हें नक्सलियों से लड़ने के लिए प्रशिक्षित होना बाकी है. इसका खुलासा गृह कारा एवं आपदा प्रबंधन की रिपोर्ट से हुआ है. गौरतलब है कि झारखंड में नक्सलवाद के खिलाफ अभियान में लगे केंद्रीय बलों को केंद्र के द्वारा दूसरे राज्यों में प्रतिनियुक्त किया जाता रहा है, ऐसी स्थिति में जैप, आईआरबी और जिला पुलिस को नक्सलियों के खिलाफ की लड़ाई लड़ने के लिए प्रशिक्षित किया जाना अनिवार्य हैं.
झारखंड में अब सिर्फ चाईबासा जिला है घोर नक्सल प्रभावित
झारखंड का एकमात्र जिला चाईबासा है, जो देश के घोर नक्सल प्रभाव वाले 12 जिलों में शामिल है. केंद्रीय गृह मंत्रालय के वामपंथ उग्रवाद डिविजन ने अप्रैल 2024 में देशभर की नक्सल समस्या से ग्रस्त जिलों की सूची जारी की थी. इसमें नौ राज्यों के 38 जिले शामिल थे. इनमें झारखंड के पांच जिलों (गिरिडीह, गुमला, लातेहार, लोहरदगा और चाईबासा) को नक्सल प्रभावी जिला माना गया था.
चार CIAT स्कूल में नक्सलियों से लड़ने का प्रशिक्षण दिया जाता है
झारखंड पुलिस कर्मियों को CIAT के अंतर्गत आने वाले नेतरहाट, पदमा, मुसाबनी और टेंडरग्राम स्कूल में नक्सलियों से लड़ने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है. CIAT स्कूल की स्थापना से पहले झारखंड पुलिस के पदाधिकारी और कर्मियों को राज्य से बाहर अन्य प्रशिक्षण संस्थानों में प्रशिक्षण के लिए जाना पड़ता था. जिसके कारण सरकार पर काफी वित्तीय भार पड़ता था. परंतु अब यह प्रशिक्षण राज्य में ही होने से पुलिस बल को बाहर के प्रशिक्षण संस्थानों में भेजने पर जो खर्च होता था, वह लगभग बंद हो गया.