रांची: झारखंड के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी विनय कुमार चौबे की तबीयत अचानक बिगड़ने के कारण उन्हें रांची के राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स) में भर्ती कराया गया है. विनय चौबे को हाई ब्लड प्रेशर और गुर्दे से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं के चलते रिम्स के पेइंग वार्ड में कमरा नंबर 11 में भर्ती किया गया है. उनकी देखभाल मेडिसिन विभाग के डॉ. ऋषि गुरिया की निगरानी में हो रही है.
विनय चौबे की तबीयत उस समय बिगड़ी जब उन्हें हाल ही में झारखंड के कथित शराब घोटाले के मामले में गिरफ्तार किया गया था. 20 मई 2025 को झारखंड के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने विनय चौबे और उत्पाद विभाग के संयुक्त आयुक्त गजेंद्र कुमार सिंह को गिरफ्तार किया. उन पर आरोप है कि उन्होंने 2022 में झारखंड की नई उत्पाद नीति के तहत अनियमितताएं बरतीं, जिससे राज्य के खजाने को 38 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. इस नीति के तहत निविदा नियमों में हेरफेर कर छत्तीसगढ़ के शराब माफिया को फायदा पहुंचाने का दावा किया गया है. एसीबी ने इस मामले में 120 पेज की एक एफआईआर दर्ज की, जिसमें 13 लोगों और दो कंपनियों को आरोपी बनाया गया.
विनय चौबे, 1999 बैच के आईएएस अधिकारी, ने हेमंत सोरेन सरकार में कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया है. वह पूर्व में मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव और उत्पाद विभाग के सचिव रह चुके हैं. साथ ही, वह झारखंड स्टेट बेवरेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक भी थे. इस मामले में उनकी गिरफ्तारी के बाद उन्हें 3 जून 2025 तक न्यायिक हिरासत में बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार, होटवार भेजा गया था. उनके वकील देवेश अजमानी ने बताया कि चौबे की गिरफ्तारी के आधार पर कोई ठोस दस्तावेज नहीं दिखाए गए और उनकी स्वास्थ्य समस्याओं को ध्यान में रखते हुए कोर्ट में मेडिकल रिपोर्ट पेश की गई थी.
इस मामले ने राजनीतिक हलकों में भी हलचल मचा दी है. भाजपा नेता और सांसद निशिकांत दुबे ने इसे भ्रष्टाचार का बड़ा मामला बताते हुए रांची को “भ्रष्टाचार की राजधानी” करार दिया. उन्होंने कांग्रेस और हेमंत सोरेन सरकार पर निशाना साधा और मामले की सीबीआई जांच की मांग की. दूसरी ओर, चौबे के समर्थकों का कहना है कि उनकी गिरफ्तारी जल्दबाजी में की गई और यह एक सियासी साजिश हो सकती है.