बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन में कन्फ्यूजन की स्थिति नजर आ रही है। आपसी सहमति की घोषणा के बिना ही गठबंधन की सभी पार्टियों ने अपने-अपने उम्मीदवार मैदान में उतार दिए। नतीजा कई सीटों पर महागठबंधन के बीच फ्रेंडली फाइट देखने को मिल रही है। ऊपर से झारखंड की सत्ताधारी पार्टी जेएमएम सीटें नहीं मिलने से नाराज है। सासाराम से आरेजेडी प्रत्याशी सत्येंद्र साह को झारखंड पुलिस ने 21 साल पुराने डकैती के मामले में गिरफ्तार किया है, जिसे जेएमएम के गुस्से के इजहार से जोड़कर देखा जा रहा है।
आरजेडी प्रत्याशी सत्येंद्र साह गिरफ्तार
आरजेडी ने सत्येंद्र साह को सासाराम विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है। सत्येंद्र साह नामांकन के आखिरी दिन 20 अक्टूबर को अपना नामांकन दाखिल करने जिला मुख्यालय पहुंचे थे। इसी दौरान उन्हें गिरफ्तार करने के लिए झारखंड पुलिस पहुंच गई। सत्येंद्र साह के नामांकन करने के तुरंत बाद उन्हें झारखंड पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और उन्हें कोर्ट में पेश करने के लिए लेकर रवाना हो गई। बताया जा रहा है कि डकैती के एक 21 साल पुराने मामले में सत्येंद्र साह के खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी हुआ था। मामला साल 2004 का है जिसमें सत्येंद्र साह आरोपी हैं।
सत्येंद्र साह की गिरफ्तारी संयोग के प्रयोग?
अब सत्येंद्र साह की गिरफ्तारी के समय को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। नामांकन दाखिल करने के तुरंत बाद गिरफ्तारी को हेमंत सोरेन की नाराजगी से जोड़कर देखा जा रहा है। गौरतलब है कि जैसे ही जेएमएम ने बिहार चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा की उसके तुरंत बाद सत्येंद्र साह को गिरफ्तार किया गया। झारखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में जेएमएम की सरकार है। महागठबंधन की तरफ से चुनाव लड़ने के लिए सीटें नहीं दिए जाने की वजह से जेएमएम नाराज है। झारखंड के मंत्री सुदिव्य कुमार ने जेएमएम के चुनाव नहीं लड़ पाने के लिए आरजेडी और कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया है। गौरतलब है कि आरजेडी और कांग्रेस दोनों पार्टियां झारखंड में जेएमएम की नेतृत्व वाली सरकार में शामिल है।
गठबंधन में जगह नहीं मिलने से JMM नाराज
बिहार विधानसभा चुनाव में JMM को महागठबंधन में शामिल नहीं किया गया। जिससे झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन समेत पार्टी के कई नेता नाराज बताए जा रहे हैं। झारखंड सरकार के मंत्री सुदिव्य कुमार ने कहा कि JMM के बिहार में चुनाव नहीं लड़ने की जिम्मेदार आरेजेडी है। सुदिव्य कुमार ने कांग्रेस को भी इसके लिए बराबर का जिम्मेदार ठहराया। JMM ने बिहार चुनाव में महागठबंधन की तरफ से सीटों की मांग की थी। लेकिन उनकी मांग पर महागठबंधन में ध्यान नहीं दिया गया। जिसके बाद पार्टी ने झारखंड से सटी बिहार की 6 विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने की घोषणा की थी। लेकिन अंतिम समय में JMM ने अपने प्रत्याशी उतारने से इनकार कर दिया।
कम नहीं हैं महागठबंधन की चुनौतियां
सासाराम से सत्येंद्र साह की गिरफ्तार को जेएमएम की नाराजगी से जोड़कर देखा जा रहा है। दूसरी तरफ बिहार में जारी मतदान की उल्टी गिनती के बीच महागठबंधन में टकराव साफ नजर आ रहा है। आरजेडी ने 143 सीटों पर अपने उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं, कांग्रेस ने 61 सीटों पर प्रत्याशी खड़ा किया है, वाम दलों ने 30 सीटों पर तो वाम दलों ने 15 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। इस तरह से देखें तो कई सीटों पर महागठबंधन के घटक दलों के बीच फ्रेंडली फाइट देने को मिल सकती है।
तेजस्वी करेंगे अपने उम्मीदवार के खिलाफ प्रचार!
दरभंगा जिले की गौरा बौराम सीट पर महागठबंधन के बीच फ्रेंडली फाइट देखने को मिल सकती है। यहां से मुकेश सहानी की पार्टी वीआईपी के उम्मीदवार को महागठबंधन ने समर्थन दिया है लेकिन यहां से आरजेडी का उम्मीदवार भी मैदान में है। गौरा बौराम सीट पर सीटों की घोषणा होने से पहले की आरजेडी ने अफजल अली खान को चुनाव लड़ने के लिए अपना चुनाव चिन्ह दे दिया था। बाद में ये सीट वीआईपी के खाते में चली गई और पार्टी के मुखिया मुकेश सहनी ने अपने भाई संतोष सहनी को यहां से मैदान में उतारा है। लिहाज इस सीट पर तेजस्वी यादव को अपने ही प्रत्याशी के खिलाफ प्रचार करना पड़ सकता है।