रांची: बोकारो जिला प्रशासन ने आयकर विभाग की जांच के दायरे में आए लखपति क्लर्क राजेश पांडेय को दोबारा जिला खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट (DMFT) में पदस्थापित कर दिया है। इसके अलावा लगभग दर्जन भर कर्मचारियों को भी छह महीने के भीतर फिर वहीं भेज दिया गया है, जहां से उन्हें पहले हटाया गया था।
UDC की गाड़ी से मिले थे 51 लाख रुपये नकद
28 अगस्त की रात गोला थाना क्षेत्र में वाहन चेकिंग के दौरान अपर डिविजन क्लर्क (UDC) राजेश पांडेय की गाड़ी से एक कार्टन में 51 लाख रुपये नकद बरामद हुए थे।
पुलिस पूछताछ में UDC ने दावा किया था कि यह राशि जमीन बिक्री से संबंधित है, लेकिन वह संतोषजनक जवाब नहीं दे पाया।
-
पुलिस ने नकद जब्त कर लिया
-
राजेश पांडेय को छोड़ दिया गया
-
आगे की जांच के लिए मामला आयकर विभाग को भेजा गया
आयकर विभाग ने कानूनी प्रक्रिया पूरी कर नकद को सरकारी खाते में जमा कर दिया। फिलहाल, विभाग UDC के पास से मिले पैसों के स्रोत की जांच कर रहा है।
नकद मिलने के बाद डीसी ने हटाया था DMFT प्रभार
घटना के बाद उपायुक्त ने
-
UDC को DMFT के प्रभार से हटा दिया,
-
और सरकारी कर्मचारियों को 1 लाख से अधिक नकद ले जाने पर अपर समाहर्ता से प्रमाण पत्र लेने का आदेश जारी किया।
हालांकि, यह आदेश कानूनी रूप से गलत पाए जाने पर डीसी ने अपना निर्देश वापस ले लिया।
नवंबर 2025 में फिर से DMFT में पदस्थापित
नवंबर 2025 में जारी तबादला आदेश में
-
UDC राजेश पांडेय को फिर से DMFT में पदस्थापित कर दिया गया।
-
उसे अंचल कार्यालय चास भेजा गया है,
-
लेकिन DMFT का अतिरिक्त प्रभार भी उसे दिया गया है।
यह अतिरिक्त प्रभार DMFT के ऑडिट पूरा होने तक रहेगा।
कई अन्य कर्मचारियों की भी पुरानी जगह पर वापसी
बोकारो जिला प्रशासन ने हाल ही में लगभग दर्जन भर कर्मचारियों को भी वापस उसी पद या कार्यालय में भेज दिया है, जहाँ से उन्हें कुछ महीने पहले ही हटाया गया था।
इनमें प्रमुख नाम शामिल हैं:
-
रेणु कुमारी
-
सुदर्शन राम
-
विजय कुमार
-
सुनील चंद्र पाल
-
हेमेंद्र कुमार
-
रामनंदन प्रसाद
-
अब्दुल मजीद अंसारी
-
अंजन रानी
-
बनारस महतो
आदि।
इन लगातार पुनःपदस्थापन आदेशों ने प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

