बिहार, झारखंड और बंगाल से गुजरने वाली ट्रेनों से भारी संख्या में जिंदा कछुए पकड़े गए हैं, जो तस्करी के लिए ले जाए जा रहे थे। ये कछुए पश्चिम बंगाल के रास्ते बांग्लादेश, म्यांमार और चीन तक पहुंचाए जा रहे थे। हाल ही में गया और बरहरवा जैसे प्रमुख रेलवे स्टेशनों से लाखों रुपये की कीमत के कछुए जब्त किए गए हैं।
तस्करी का नेटवर्क और इसकी लंबी चेन
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, यूपी और बिहार की नदियों से कछुए पकड़े जाते हैं, जिन्हें फिर झारखंड और बंगाल से होते हुए बांग्लादेश तक भेजा जाता है। यह तस्करी का एक पुराना और प्रभावी नेटवर्क है, जो अब तक हजारों कछुओं की तस्करी में शामिल है। पश्चिम बंगाल की ओर जाने वाली प्रमुख ट्रेनों से इन कछुओं को भेजने का काम किया जा रहा है, जिससे यह चीन तक पहुंचते हैं।
क्या है कछुए की तस्करी का मकसद?
कछुए का मांस और उनके अंगों का इस्तेमाल विभिन्न देशों में किया जाता है। विशेष रूप से चीन, म्यांमार और बांग्लादेश जैसे देशों में इनका व्यापार होता है। तस्करों ने बताया कि वे मुसहर समुदाय से कछुए खरीदते हैं और फिर उन्हें महंगे दामों पर बेच देते हैं। कछुए के मांस को खाद्य पदार्थ और दवाओं में उपयोग किया जाता है, जो इसे एक बहुत महंगा व्यापार बना देता है।