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    Home»अंतरराष्ट्रीय»कोरोना पर चीन की चालबाजी या भूल? वुहान में अचानक बदला कोविड-19 से मौतों का आंकड़ा, 40 फीसदी की वृद्धि
    अंतरराष्ट्रीय

    कोरोना पर चीन की चालबाजी या भूल? वुहान में अचानक बदला कोविड-19 से मौतों का आंकड़ा, 40 फीसदी की वृद्धि

    Koylanchal SamvadBy Koylanchal SamvadApril 17, 2020Updated:April 25, 2020No Comments4 Mins Read
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    दुनियाभर में मौत का तांडव मचा रहे खतरनाक कोरोना वायरस को लेकर चीन की चालबाजी सामने आई है। चीन ने अपनी मृतकों की संख्या में शुक्रवार को अचानक संशोधन किया और वुहान में कोरोना से मरने वालों की संख्या में करीब 1300 की वृद्धि दिखाई। समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, चीन ने राष्ट्रीय स्तर पर मृतकों की संख्या में करीब 40 प्रतिशत की बढ़ोतरी करते हुए इस वायरस से मरने वालों की कुल संख्या 4,636, बताई है। इसमें सबसे अधिक मामले वुहान के ही हैं। बता दें कि वुहान कोरोना वायरस का केंद्र है, जहां पिछले साल के अंत में पहली बार कोविड-19 का मामला सामने आया था।

    चीन ने स्वीकार किया कि कई मामलों में मौत का कारण जानने में गलती हुई या कई मामलों का पता ही नहीं चल पाया। शहर की सरकार ने सोशल मीडिया पर पोस्ट के जरिए बताया कि वुहान में मृतक संख्या में करीब 1300 और लोगों की मौत के मामले जोड़े गए हैं। वुहान शहर से ही कोरोना वायरस का संक्रमण फैलना शुरू हुआ था। चीन में तबाही मचाने के बाद अब यह संक्रमण दुनियाभर में फैल चुका है।

    चीन का यह नया आंकड़ा ऐसे वक्त में आया है, जब पूरी दुनिया चीन पर उसके राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग (एनएचसी) द्वारा जनवरी के अंत से रोजाना जारी किए जा रहे मृतकों की संख्या को लेकर संदेह की नजरों से देख रही है।

    चीन की समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने बताया कि चीन के वुहान में जारी संशोधित आंकड़ों के मुताबिक, 16 अप्रैल के अंत तक कोरोना संक्रमितों के आंकड़े 325 बढ़कर 50,333 हो गये हैं और मृतकों की संख्या 1290 बढ़कर 3869 हो गई है। कोरोना महामारी निवारण एवं नियंत्रण के वुहान निगम मुख्यालय ने एक अधिसूचना में कहा कि आंकड़ों में संशोधन संबंधित नियम और कानून तथा इतिहास, लोगों और मृतकों के लिए जिम्मेदार होने के सिद्धांत के तहत किया गया है। अधिसूचना के अनुसार इससे यह सुनिश्चित हुआ है कि कोरोना से जुड़ी जानकारी पारदर्शी एवं सार्वजनिक हैं और आंकड़े सही हैं।

    आंकड़ों के गलत होने के ये चार कारण बताए गए हैं
    –
    कोरोना महामारी के शुरुआती दिनों में मरीजों की बढ़ती संख्या ने चिकित्सा संसाधनों और चिकित्सा संस्थानों की क्षमता को प्रभावित किया। अस्पतालों में इलाज ना मिलने के कारण कुछ मरीजों ने घर पर ही दम तोड़ दिया।

    -मरीजों के इलाज के दौरान अस्पताल अपनी क्षमताओं से अत्याधिक कार्य कर रहे थे और रोगियों को बचाने और उपचार करने के लिए चिकित्सा कर्मचारियों को पहले से तैयार किया गया था, जिसके परिणामस्वरूप देरी से, गलत और भ्रामक रिपोर्टिंग हुईं।

    -कोरोना मरीजों के इलाज के लिए हुबेई प्रांत के वुहान शहर के जिलों में मंत्रालय द्वारा संचालित चिह्नित अस्पतालों के तेजी से बढ़ने के कारण कुछ अस्पताल महामारी सूचना नेटवर्क से नहीं जुड़ सके और समय रहते डेटा की रिपोर्ट करने में विफल रहे। इनमें कंपनियों, प्राइवेट अस्पताल और कुछ अन्य चिकित्सा संस्थान भी शामिल हैं।

    -मृतकों में से कुछ की पंजीकृत जानकारी अधूरी थी और रिपोर्टिंग में दोहराव और गलतियां थीं।

    एक अधिकारी ने मीडिया को बताया कि महामारी से संबंधित बड़े आंकड़े और महामारी विज्ञान संबंधी जांच के लिए एक समूह को मार्च के अंत में गठित किया गया था। आधिकारियों ने कहा कि समूह ने ऑनलाइन प्रणाली से जानकारी जुटाई और महामारी से जुड़े सभी लोकेशनों से पूरी जानकारी को इकट्ठा किया ताकि हर मामलों से जुड़ा तथ्य सही और हर एक आंकड़ा दुरुस्त हो। अधिकारी ने कहा, ‘महामारी के आंकड़ों के पीछे आम लोगों के जीवन और स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी के साथ ही सरकार की विश्वसनीयता भी जुड़ी होती है।’

    बता दें कि बीते कुछ समय से अमेरिका लगातार चीन पर संदेह की नजरों से देख रहा है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी कई बार मौत के आंकड़ों को छुपाने को लेकर चीन पर निशाना साध चुके हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने डब्लूएचओ पर चीन का पक्ष लेने का आरोप भी लगाया और संगठन का फंड रोक दिया। कोरोना वायरस सबसे पहले चीन के हुबेई प्रांत के वुहान शहर में फैला था, जिसे करीब 75 दिनों तक लॉकडाउन कर दिया गया। हालांकि, चीन ने इस पर काफी हद तक काबू पा लिया है और लॉकडाउन को खोल दिया है।

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