रांची: सूर्य के चारों ओर वलय बना देख लोग कुछ देर के लिए आश्चर्यचकित व भयभीत है। ग्रामीण इसे भगवान का प्रकोप मान भयभीत थे। वहीं कुछ लोग आसमानी आफत मानते हुए खुद को घरों में बंद कर लिया। कुछ युवकों ने मोबाइल से फोटो व वीडियो शूट करना शुरू कर दिया। कुछ लोग भगवान से आने वाले प्रकोप से बचाने की गुहार लगाने लगे।
जानकारों का कहना है कि सूर्य के चारों ओर ऐसे वलय बनना एक प्राकृतिक घटना है। इससे किसी तरह का कोई नुकसान नहीं होता है। यह कोई कुदरती प्रकोप नहीं है। ऐसा वलय तब बनता है जब सूर्य या चंद्रमा की किरणें सिरस क्लाउड में मौजूद हेक्सागोनल आइस क्रिस्टल्स से विक्षेपित हो जाती हैं। इस घटना को सूर्य का 22 डिग्री सर्कुलर हलो कहा जाता है।
शोधकर्ताओं के अनुसार इस तरह के बादल सामान्य तौर पर तब बनते हैं जब पृथ्वी की सतह से पांच से दस किलोमीटर ऊंचाई पर जलवाष्प बर्फ के क्रिस्टलों में जम जाती है। पूर्व में भी इस तरह के 22 डिग्री सर्कुलर हलो देखने को मिले हैं। पिछले साल एक जून को महाराष्ट्र के सतारा जिले में भी सूर्य के चारों ओर वलय देखने को मिला। इसी तरह का वलय मई 2016 में कोलकाता व अप्रैल 2014 में वाराणसी में देखने को मिला था। इसके पहले भी कई जगहों पर इस तरह के सूर्य वलय देखने को मिले हैं जिनकी अवधि 30 से 45 मिनट तक थी।